आम की खेती
- भूमि एव जलवायु
- उन्नतशील प्रजातियाँ
- गढढों की तैयारी और वृक्षों का रोपण
- आम की फसल में प्रवर्धन या प्रोपोगेशन
- खाद एवं उर्वरक का प्रयोग
- सिंचाई
- फसल में निराईगुड़ाई और खरपतवारों का नियंत्रण
- रोग और उसका नियंत्रण
- कीट और उनका नियंत्रण
- फसल की तुड़ाई
- औसतन उपज
आम की खेती लगभग पूरे देश में की जाती है। यह मनुष्य का बहुत ही प्रीय फल मन जाता है इसमें खटास लिए हुए मिठास पाई जाती है। जो की अलग अलग प्रजातियों के मुताबिक फली में कम ज्यादा मिठास पायी जाती है। कच्चे आम से चटनी आचार अनेक प्रकार के पेय के रूप में प्रयोग किया जाता है। इससे जैली जैम सीरप आदि बनाये जाते हैं। यह विटामीन एव बी का अच्छा स्त्रोत है।
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भूमि एव जलवायु
आम की खेती उष्ण एव समशीतोष्ण दोनों प्रकार की जलवायु में की जाती है। आम की खेती समुद्र तल से 600 मीटर की ऊँचाई तक सफलता पूर्वक होती है इसके लिए 23.8 से 26.6 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान अति उत्तम होता है। आम की खेती प्रत्येक किस्म की भूमि में की जा सकती है। परन्त अधिक बलुई, पथरीली, क्षारीय तथा जल भराव वाली भूमि में इसे उगाना लाभकारी नहीं है, तथा अच्छे जल निकास वाली दोमट भूमि सवोत्तम मानी जाती है।
उन्नतशील प्रजातियाँ
हमारे देश में उगाई जाने वाली किस्मों में, दशहरी, लगडा, चौसा, फजरी, बाम्बे ग्रीन, अलफांसी, तोतापरी, हिमसागर, किशनभोग, नीलम, सुवर्णरेखा,वनराज आदि प्रमुख उन्नतशील प्रजातियाँ है। आम की नयी उकसित किस्मों में मल्लिका, आम्रपाली, दशहरी-५ दशहरी-५१, अम्बिका, गौरव, राजीव, सौरव, रामकेला, तथा रत्ना प्रमुख प्रजातियां हैं।
गढढों की तैयारी और वृक्षों का रोपण
वर्षाकाल आम के पेड़ों को लगाने के लिए सारे देश में उपयुक्त माना गया है। जिन क्षेत्रों में वर्षा आधिक होती है वहां वर्षा के अन्त में आम का बाग लगाना चाहिए। लगभग 50 सेन्टीमीटर व्यास एक मीटर गहरे गढ़े मई माह में खोद कर उनमें लगभग 30 से 40 किलो ग्राम प्रति गढ्ढा सड़ी गोबर की खाद मिटटी में मिलाकर और 100 ग्राम क्लोरोपाइरिफास पाउडर बुरककर गड़ी की भर देना चाहिए। पौधों की किस्म के अनुसार 10 से 12 मीटर पौध से पौध की दूरी होनी चाहिए, परन्तु आम्रपाली किस्म के लिए यह दूरी 2.5 मीटर ही होनी चाहिए।
आम की फसल में प्रवर्धन या प्रोपोगेशन
आम के बीजू पौधे तैयार करने के लिए आम की गुठलियों को जून-जुलाई में बुवाई कर दी जाती है आम की प्रवर्धन की विधियों में भेट कलम, विनियर, साफ्टवुड ग्राफ्टिंग, प्रांकुर कलम, तथा बडिंग प्रमुख हैं, विनियर एवं साफ्टवुड ग्राफ्टिंग द्वारा अच्छे किस्म के पौधे कम समय में तैयार कर लिए जाते हैं।
खाद एवं उर्वरक का प्रयोग
बागी की दस साल की उम्र तक प्रतिवर्ष उम्र के गुणांक में नाइट्रोजन, पोटाश तथा फास्फोरस प्रत्येक को १०० ग्राम प्रति पेड़ जुलाई में पेड़ के चारों तरफ बनायी गयी नाली में देनी चाहिए। इसके अतिरिक्त मृदा की भौतिक एवं रासायनिक दशा में सुधार हेतु 25 से 30 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद प्रति पौधा देना उचित पाया गया है। जैविक खाद हेतु जुलाई-अगस्त में 250 ग्राम एजीसपाइरिलम को 40 किलोग्राम गोबर की खाद के साथ मिलाकर थाली में डालने से उत्पादन में वृदि पाई गयी है।
सिंचाई
आम की फसल के लिए बाग़ लगाने के प्रथम वर्ष सिंचाई 2-3 दिन के अन्तराल पर आवश्यकतानुसार करनी चाहिए 2 से 5 वर्ष पर 4-5 दिन के अन्तराल पर आवश्यकता अनुसार करनी चहिये। तथा जब पेड़ों में फल लगने लगे तो दो तीन सिंचाई करनी अति आवश्यक है। आम के बागों में पहली सिचाई फल लगने के पश्चात दूसरी सिचाई फली का काँच की गोली के बराबर अवस्था में तथा तीसरी सिचाई फली की पूरी बढ़वार होने पर करनी चाहिए। सिचाई नालियों द्वारा थाली में ही करनी चाहिए जिससे की पानी की बचत हो सके।
फसल में निराईगुड़ाई और खरपतवारों का नियंत्रण
आम के बाग को साफ रखने के लिए निराई गुड़ाई तथा बागों में वर्ष में दो बार जुताई कर देना चाहिए इससे खरपतवार तथा भूमिगत कीट नष्ट हो जाते हैं इसके साथ ही साथ समय समय पर घास निकलते रहना चाहिए।
रोग और उसका नियंत्रण
आम के रोगों का प्रबन्धन कई प्रकार से करते है। जैसे की पहला आम के बाग में पावडरी मिल्डयू यह एक बीमारी लगती है इसी प्रकार से खर्रा या दहिया रोग भी लगता है इनसे बचाने के लिए घुलनशील गंधक 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में या ट्राईमार्फ़ 1 मिली प्रति लीटर पानी या डाईनोकैप 1 मिली प्रति लीटर पानी घोलकर प्रथम छिड़काव बौर आने के तुरन्त बाद दूसरा छिड़काव 10 से 15 दिन बाद तथा तीसरा छिड़काव उसके 10 से 15 दिन बाद करना चाहिए आम की फसल की एन्थ्रक्नोज फोमा ब्लाइट डाईबैक तथा रेडरस्ट से बचाव के लिए कापर आक्सीक्लोराईड 3 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर 15 दिन के अन्तरालपर वर्षा ऋतु प्रारंभ होने पर दो छिड़काव तथा अक्टूबर-नवम्वर में 2-3 छिड़काव करना चाहिए। जिससे की हमारे आम के बौर आने में कोई परेशानी न हो। इसी प्रकार से आम में गुम्मा विकार या माल्फमेंशन भी बीमारी लगती है इसके उपचार के लिए कम प्रकोप वाले आम के बागो में जनवरी फरवरी माह में बौर को तोड़ दें एवम अधिक प्रकोप होने पर एन.ए.ए. 200 पी.पी.एम रसायन की 900 मिली प्रति 200 लीटर पानी घोलकर छिड़काव करना चहिये। इसके साथ ही साथ आम के बागो में कोयलिया रोग भी लगता है। जिसको किसान भाई सभी आप लोग जानते हैं इसके नियंत्रण के लिए बोरेक्स या कास्टिक सोडा 10 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर प्रथम छिड़काव फल लगने पर तथा दूसरा छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर करना चाहिए जिससे की कोयलिया रोग से हमारे फल खराब न हो सके।
कीट और उनका नियंत्रण
आम में भुनगा फुदका कोट, गुझिया कोट, आम के छल खाने वाली सुंडी तथा तना भेदक कीट, आम में डासी मक्खी ये कीट है। आम की फसल की फुदका कीट से बचाव के लिए एमिडाक्लोरपिड 0.3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर प्रथम छिड़काव फूल खिलने से पहले करते है। दूसरा छिड़काव जब फल मटर के दाने के बराबर हो जाये, तब कार्बरिल 4 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलकर छिड़काव करना चाहिए। इसी प्रकार से आम की फसल की गुझिया कीट से बचाव के लिए दिसंबर माह के प्रथम सप्ताह में आम के तने के चारों ओर गहरी जुताई करे, तथा क्लोरोपईरीफ़ास चूर्ण 200 ग्राम प्रति पेड़ तने के चारो बुरक दे, यदि कीट पेड़ पर चढ़ गए हो तो एमिडाक्लोरपिड 0.3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर जनवरी माह में 2 छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर करना चाहिए तथा आम के छाल खाने वाली सुंडी तथा तना भेदक कीट के नियंत्रण के लिए मोनोक्रोटीफास 0.5 प्रतिशत रसायन के घोल में रूई को भिगोकर तने में किये गए छेद में डालकर छेद बंद कर देना चाहिए। एस प्रकार से ये सुंडी खत्म हो जाती है। आम की डासी मक्खी के नियंत्रण के लिए मिथाईलयूजीनाल ट्रैप का प्रयोग प्लाई लकड़ी के टुकडे की अल्कोहल मिथाईल एवम मैलाथियान के छ: अनुपात चार अनुपात एक के अनुपात में घोल में 48 घंटे डुबोने के पश्चात पेड़ पर लटकाए ट्रैप मई के प्रथम सप्ताह में लटका दें तथा ट्रैप को दो माह बाद बदल दें।
फसल की तुड़ाई
आम की परिपक्व फली की तुड़ाई 8 से 10 मिमी लम्बी डंठल के साथ करनी चाहिए, जिससे फली पर स्टेम राट बीमारी लगने का खतरा नहीं रहता है। तुड़ाई के समय फली की चोट व खरोच न लगने दें, तथा मिटटी के सम्पर्क से बचायें। आम के फली का श्रेणीक्रम उनकी प्रजाति, आकार, भार, रंग व परिपत्ता के आधार पर करना चाहिए।
औसतन उपज
रोगों एवं कीटी के पूरे प्रबंधन पर प्रति पेड़ लगभग 150 किलोग्राम से 200 किलोग्राम तक उपज प्राप्त हो सकती है। लेकिन प्रजातियों के आधार पर यह पैदावार अलग-अलग पाई गयी है।
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आधुनिक तरीके से करें आम की खेती
भारत में सभी फलों में आम सबसे ऊपर हैं आम के फल की देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बहुत मांग रहती है | भारत में आम लगभग सभी प्रदेशों में होते हैं लेकिन अलग – अलग राज्यों में आम फल की वेराइटी भी अलग – अलग होती है | आज आम की खेती से देश के किसान अच्छी आमदनी कर रहे है | आम की खेती तो सभी करते हैं लेकिन वैज्ञानिक तरीके से करने पर कम समय में ही अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है | भारत सरकार ने इसके लिए नेशनल मेंगो डाटाबेस ( National Mango Database ) तैयार कर रखा है | किसान समाधान आप सभी के लिए आम की उत्तम खेती की जानकारी लेकर आया है |
भूमि की तैयारी कैसे करें ?
आम की फसल का उत्पादन तो प्रायः सभी तरह की भूमि में किया जाता है लेकिन अच्छी जल धारण क्षमता वाली गहरी, बलुई दोमट सबसे उपयुक्त मानी जाती है। भूमि का पी.एच. मान 5.5-7.5 तक इसकी खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है |
आम के पौधे रोपने के लिए उचित समय क्या है ?
आम उष्णकटिबन्धीय पौधों वाला फल है फिर भी इसे उपोष्ण क्षेत्र में सफलतापूर्वक पैदा किया जा सकता है | 25-27 डिग्री सेन्टीग्रेट तापमान तक इसकी खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है। मानसून के दौरान 125 से. मी. वर्षा होती है जो इसके लिए उपयुक्त है |
आम की उपयुक्त किस्में कौन – कौन सी है ?
देश भर में आम की कितनी किस्में है बता पाना सम्भव नहीं है | लेकिन जो चर्चित प्रजातियाँ है तथा अधिक उत्पादन के साथ – साथ किसी भी भूमि में हो जाता है इन सभी तरह के प्रजातियों का विवरण दिया जा रहा है |
किस्म का नाम पौधा | कुल वनज ग्राम | पल्प प्रतिषत | टी.एस.एस. | उत्पादन कीलो प्रति | खास गुण |
आम्रपाली | 200-300 | 73.75 | 23.5 | 40 | नियमित फलन साघनवागवानी हेतु उपयुक्त |
दशहरी | 150-200 | 76.75 | 24.6 | 80 | उत्तम स्वाद, छोटी गुठली |
लंगड़ा | 200-250 | 76.75 | 22.5 | 75 | रेशा रहित गूधा छोटी गुठली |
सुंदरजा | 300-350 | 75.95 | 22.5 | 65 | मनमोहक सुगंध-मीण |
मल्लिका | 200-350 | 72.20 | 22.20 | 65 | नियमित फलन |
हर राज्य के अनुसार आम की अन्य किस्में जानने के लिए क्लिक करें
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आम की फसल रोपने का सही समय विधि क्या है ?
आम के पौधों को 10×10 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है, किन्तु सघन बागवानी में इसे 2.5 से 4 मीटर की दूरी पर लगाते हैं पौधे लगाने के लिए 1×1×1 मीटर का गढ्ढा खोदते हैं वर्षा प्रारंभ होने के पूर्व जून के माह में 20-30 कि. ग्रा. वर्मीकम्पोस्ट 2 कि.ग्रा. नीम की खली 1 कि. ग्रा. हड्डी का चूरा अथवा सिंगल सुपर फास्फेट एवं 100 ग्राम थीमेट (दीमक हेतु) 10 जी. को खेत की उपरी सतह की मिट्टी के साथ मिलाकर गड्ढ़े को अच्छी तरह भर देना चाहिए |
पौधों की देख-भाल कैसे करें ?
अच्छे उत्पादन के लिए पौधों की देख – भाल करना जरुरी है शुरूआती तीन – चार वर्ष तक तो आवश्य ध्यान देने की जरुरत है | शुरूआत के दो तीन वर्षों तक आम के पौधों को विशेष देखरेख की आवष्यकता होती है। जाड़े में पाले से बचाने के लिए एवं गर्मी में लू से बचाने के लिए सिंचाई का प्रबंधन करना चाहिए। जमीन से 80 से. मी. तक की शाखाओं को निकाल देना चाहिए |
आम के पौधों में खाद एवं उर्वरक का प्रयोग कितना करें ?
वर्ष | गोबर की खाद (कि. ग्रा.) | यूरिया (ग्राम) | सिंगल सुपर फास्फेट (ग्राम) | म्यूरेट आफ पोटाष (ग्राम) |
1.3 | 2.5 | 200 | 150 | 150 |
4.10 | 10.00 | 900 | 800 | 600 |
10 वर्ष बाद | 75.00 | 2000 | 1500 | 800 |
सिंचाई कब – कब करें ?
छोटे पौधों को गर्मियों में 4-7 दिन के अन्तर से तथा ठंड में 10-12 दिन के अन्तर से सिंचाई करनी चाहिए लेकिन फल वाले पेड़ों की अक्टूबर से जनवरी तक सिंचाई नहीं करनी चाहिए क्योंकि कि अक्टूबर के बाद यदि भूमि में नमी अधिक रहती है तो फल कम आते हैं, तथा नई शाखाएं ज्यादा आ जाती है |
आम पौधों के साथ दूसरी फसल कौन सी लें ?
वृक्ष को पूर्ण रूप से तैयार होने में 10-12 वर्ष का समय लगता है, आरंभ में 3-4 वर्षों में जब पेड़ छोटे रहते हैं, उनके बीच खाली जगह में, खरीफ में जई, मूंग, लोबिया, रबी में मटर, चना, मसूर या फ्रेंचबिन तथा गर्मियों में लोबिया मिर्ची या भिण्डी की फसलं लेकर आम फसल प्राप्त की जा सकती है अन्तराषस्य फसलों से अतिरिक्त आय प्राप्त होती है, साथ ही भूमि की उर्वराशक्ति भी बढ़ती है |
आम के पुराने वृक्षों का जीर्णोद्धार कैसे करें ?
पौधे का जीवन 50 वर्ष का होता है | पौधे की उम्र जैसे – जैसे बढ़ते जाती है वैसे – वैसे पेड़ का मुख्य तना खोखला होते जाता है तथा शाखाएं आपस में मिल जाती हैं, तथ बहुत सघन हो जाती हैं आम के ऐसे पौधों में बारिश का पानी खोखली जगह में भर जाता है । जिससे सड़न व गलन कि समस्या उत्पन्न होती है तथा, पौधे कमजोर हो जाते हैं और थोड़ी सी हवा में टूट जाते हैं, ऐसे में उपचार के लिए सबसे पहले सभी अनुत्पादक शाखाओं को हटा देना चाहिए 100 कि.ग्रा. अच्छी पकी हुई गोबर की खाद तथा 2.5 कि.ग्रा. नीम की खली प्रति पौधा देना चाहिए। जिससे अगले सीजन में लगी शाखाओं में वृद्धि होती है |
पौधे में फल कब आते है ?
6-8 माह पुरानी शाखाओं मे फरवरी माह में फूल पूर्ण रूप से विकसित होकर खिल जाते हैं |
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आम की खेती
- परिचय
- जलवायु और भूमि
- प्रजातियाँ
- गड्डों की तैयारी में सावधानियाँ
- प्रवर्धन या प्रोपोगेशन
- खाद एवं उर्वरक
- सिंचाई का समय
- गुड़ाई और खरपतवार नियंत्रण
- रोग और नियंत्रण
- कीट और उनका नियंत्रण
- फलों को तोड़ने का समय
- उपज
परिचय
आम की खेती लगभग पूरे देश में की जाती हैI यह मनुष्य का बहुत ही प्रीय फल मन जाता है इसमे खटास लिए हुए मिठास पाई जाती हैI जो की अलग अलग प्रजातियों के मुताबिक फलो में कम ज्यादा मिठास पायी जाती हैI कच्चे आम से चटनी आचार अनेक प्रकार के पेय के रूप में प्रयोग किया जाता हैI इससे जैली जैम सीरप आदि बनाये जाते हैI यह विटामीन ए व् बी का अच्छा श्रोत हैI
जलवायु और भूमि
आम की खेती के लिए किस प्रकार की जलवायु और भूमि की आवश्यकता होती है?
आम की खेती उष्ण एव समशीतोष्ण दोनों प्रकार की जलवायु में की जाती हैI आम की खेती समुद्र तल से 600 मीटर की ऊँचाई तक सफलता पूर्वक होती है इसके लिए 23.8 से 26.6 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान अति उतम होता हैई आम की खेती प्रत्येक किस्म की भूमि में की जा सकती हैI परन्तु अधिक बलुई, पथरीली, क्षारीय तथा जल भराव वाली भूमि में इसे उगाना लाभकारी नहीं है, तथा अच्छे जल निकास वाली दोमट भूमि सवोत्तम मानी जाती हैI
प्रजातियाँ
आम के पेड़ लगाने से पहले वो कौन-कौन सी उन्नतशील प्रजातियाँ है?
हमारे देश में उगाई जाने वाली किस्मो में, दशहरी, लगडा, चौसा, फजरी, बाम्बे ग्रीन, अलफांसो, तोतापरी, हिमसागर, किशनभोग, नीलम, सुवर्णरेखा,वनराज आदि प्रमुख उन्नतशील प्रजातियाँ हैI
गड्डों की तैयारी में सावधानियाँ
आम की फसल तैयार करने के लिए गढ्ढ़ो की तैयारी किस तरह से करे और वृक्षों का रोपण करते समय किस तरह की सावधानी बरते?
वर्षाकाल आम के पेड़ो को लगाने के लिए सारे देश में उपयुक्त माना गया हैI जिन क्षेत्रो में वर्षा आधिक होती है वहां वर्षा के अन्त में आम का बाग लगाना चाहिएI लगभग 50 सेन्टीमीटर व्यास एक मीटर गहरे गढ्ढे मई माह में खोद कर उनमे लगभग 30 से 40 किलो ग्राम प्रति गड्ढा सड़ी गोबर की खाद मिटटी में मिलाकर और 100 किलोग्राम क्लोरोपाइरिफास पावडर बुरककर गड्ढो को भर देना चाहिएI पौधों की किस्म के अनुसार 10 से 12 मीटर पौध से पौध की दूरी होनी चाहिए, परन्तु आम्रपाली किस्म के लिए यह दूरी 2.5 मीटर ही होनी चाहिएI
प्रवर्धन या प्रोपोगेशन
आम की फसल में प्रवर्धन या प्रोपोगेशन किन- किन विधियो दवारा किया जा सकता है?
आम के बीजू पौधे तैयार करने के लिए आम की गुठलियों को जून-जुलाई में बुवाई कर दी जाती है आम की प्रवर्धन की विधियों में भेट कलम, विनियर, साफ्टवुड ग्राफ्टिंग, प्रांकुर कलम, तथा बडिंग प्रमुख है, विनियर एवम साफ्टवुड ग्राफ्टिंग द्वारा अच्छे किस्म के पौधे कम समय में तैयार कर लिए जाते हैI
खाद एवं उर्वरक
आम की फसल में खाद एवं उर्वरक का प्रयोग कब करना चाहिए ?
बागो की दस साल की उम्र तक प्रतिवर्ष उम्र के गुणांक में नाइट्रोजन, पोटाश तथा फास्फोरस प्रत्येक को १०० ग्राम प्रति पेड़ जुलाई में पेड़ के चारो तरफ बनायीं गयी नाली में देनी चाहिएI इसके अतिरिक्त मृदा की भौतिक एवं रासायनिक दशा में सुधार हेतु 25 से 30 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद प्रति पौधा देना उचित पाया गया हैI जैविक खाद हेतु जुलाई-अगस्त में 250 ग्राम एजोसपाइरिलम को 40 किलोग्राम गोबर की खाद के साथ मिलाकर थालो में डालने से उत्पादन में वृदि पाई गयी हैI
सिंचाई का समय
आम की फसल सिचाई हमें कब करनी चाहिए, और किस प्रकार करनी चाहिए?
आम की फसल के लिए बाग़ लगाने के प्रथम वर्ष सिचाई 2-3 दिन के अन्तराल पर आवश्यकतानुसार करनी चाहिए 2 से 5 वर्ष पर 4-5 के अन्तराल पर आवश्यकताअनुसार करनी चहियेI तथा जब पेड़ो में फल लगने लगे तो दो तीन सिचाई करनी अति आवश्यक हैI आम के बागो में पहली सिचाई फल लगने के पश्चात दूसरी सिचाई फलो का काँच की गोली के बराबर अवस्था में तथा तीसरी सिचाई फलो की पूरी बढवार होने पर करनी चाहिएI सिचाई नालियों द्वारा थालो में ही करनी चाहिए जिससे की पानी की बचत हो सकेI
गुड़ाई और खरपतवार नियंत्रण
आम की फसल में निराई गुड़ाई और खरपतवारो का नियंत्रण हमारे किसान भाई किस प्रकार करे?
आम के बाग को साफ रखने के लिए निराई गुड़ाई तथा बागो में वर्ष में दो बार जुताई कर देना चाहिए इससे खरपतवार तथा भूमिगत कीट नष्ट हो जाते है इसके साथ ही साथ समय समय पर घास निकलते रहना चाहिएI
रोग और नियंत्रण
आम की फसल में कौन कौन से रोग लगते है और उसका नियंत्रण हम किस प्रकार करें?
आम के रोगों का प्रबन्धन कई प्रकार से करते हैI जैसे की पहला आम के बाग में पावडरी मिल्ड्यू यह एक बीमारी लगती है इसी प्रकार से खर्रा या दहिया रोग भी लगता है इनसे बचाने के लिए घुलनशील गंधक 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में या ट्राईमार्फ़ 1 मिली प्रति लीटर पानी या डाईनोकैप 1 मिली प्रति लीटर पानी घोलकर प्रथम छिडकाव बौर आने के तुरन्त बाद दूसरा छिडकाव 10 से 15 दिन बाद तथा तीसरा छिडकाव उसके 10 से 15 दिन बाद करना चाहिए आम की फसल को एन्थ्रक्नोज फोमा ब्लाइट डाईबैक तथा रेडरस्ट से बचाव के लिए कापर आक्सीक्लोराईड 3 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर 15 दिन के अन्तरालपर वर्षा ऋतु प्रारंभ होने पर दो छिडकाव तथा अक्टूबर-नवम्वर में 2-3 छिडकाव करना चाहिएI जिससे की हमारे आम के बौर आने में कोइ परेशानी न होI इसी प्रकार से आम में गुम्मा विकार या माल्फर्मेशन भी बीमारी लगती है इसके उपचार के लिए कम प्रकोप वाले आम के बागो में जनवरी फरवरी माह में बौर को तोड़ दे एवम अधिक प्रकोप होने पर एन.ए.ए. 200 पी. पी. एम्. रसायन की 900 मिली प्रति 200 लीटर पानी घोलकर छिडकाव करना चहियेI इसके साथ ही साथ आम के बागो में कोयलिया रोग भी लगता हैI जिसको की किसान भाई सभी आप लोग जानते है इसके नियंत्रण के लिए बोरेक्स या कास्टिक सोडा 10 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर प्रथम छिडकाव फल लगने पर तथा दूसरा छिडकाव 15 दिन के अंतराल पर करना चाहिए जिससे की कोयलिया रोग से हमारे फल ख़राब न हो सकेI
कीट और उनका नियंत्रण
कौन - कौन से कीट है, जो आम में लगते है, और उनका नियंत्रण किस प्रकार होना चाहिए?
आम में भुनगा फुदका कीट, गुझिया कीट, आम के छल खाने वाली सुंडी तथा तना भेदक कीट, आम में डासी मक्खी ये कीट हैI आम की फसल को फुदका कीट से बचाव के लिए एमिडाक्लोरपिड 0.3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर प्रथम छिडकाव फूल खिलने से पहले करते हैI दूसरा छिडकाव जब फल मटर के दाने के बराबर हो जाये, तब कार्बरिल 4 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलकर छिडकाव करना चाहिएI इसी प्रकार से आम की फसल को गुझिया कीट से बचाव के लिए दिसंबर माह के प्रथम सप्ताह में आम के तने के चारो ऒर गहरी जुताई करे, तथा क्लोरोपईरीफ़ास चूर्ण 200 ग्राम प्रति पेड़ तने के चारो बुरक दे, यदि कीट पेड़ पर चढ़ गए हो तो एमिडाक्लोरपिड 0.3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर जनवरी माह में 2 छिडकाव 15 दिन के अंतराल पर करना चाहिए तथा आम के छल खाने वाली सुंडी तथा तना भेदक कीट के नियंत्रण के लिए मोनोक्रोटोफास 0.5 प्रतिशत रसायन के घोल में रूई को भिगोकर तने में किये गए छेद में डालकर छेद बंद कर देना चाहिएI एस प्रकार से ये सुंडी ख़त्म हो जाती हैI आम की डासी मक्खी के नियंत्रण के लिए मिथाईलयूजीनाल ट्रैप का प्रयोग प्लाई लकड़ी के टुकडे को अल्कोहल मिथाईल एवम मैलाथियान के छः अनुपात चार अनुपात एक के अनुपात में घोल में 48 घंटे डुबोने के पश्चात पेड़ पर लटकाए ट्रैप मई के प्रथम सप्ताह में लटका दे तथा ट्रैप को दो माह बाद बदल देI
फलों को तोड़ने का समय
आम की फसल की तुड़ाई कब करनी चाहिए और किस प्रकार करनी चाहिए?
आम की परिपक्व फलो की तुड़ाई 8 से 10 मिमी लम्बी डंठल के साथ करनी चाहिए, जिससे फलो पर स्टेम राट बीमारी लगने का खतरा नहीं रहता हैI तुड़ाई के समय फलो को चोट व् खरोच न लगने दें, तथा मिटटी के सम्पर्क से बचायेI आम के फलो का श्रेणीक्रम उनकी प्रजाति, आकार, भार, रंग व परिपक्ता के आधार पर करना चाहिएI
उपज
आम की फसल से औसतन उपज कितनी प्राप्त कर सकते है?
रोगों एवं कीटो के पूरे प्रबंधन पर प्रति पेड़ लगभग 150 किलोग्राम से 200 किलोग्राम तक उपज प्राप्त हो सकती हैI लेकिन प्रजातियों के आधार पर यह पैदावार अलग-अलग पाई गयी हैI
आम....
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