धान की खेती संपूर्ण जानकारी
बुआई का समय
- जायद में:–
बुआई का समय –फसल अवधि 10 फ़रवरी से 30 मार्च के बीच 90 से 150 दिन
- खरीफ में
बुआई का समय
फसल अवधि–15 मई से 15 जुलाई के बीच 90 से 150 दिन
तापमान, मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई
फसल रोपाई के 20 दिन पहले खेत की 1 जुताई करके खेत में 1 एकर खेत में 10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद, और 2.5 किलोग्राम ट्रिकोडेर्मा को डालकर दे। इसके बाद खेत की 3 बार अच्छे से जुताई करे। जुताई के बाद खेत को समतल करके ऊपर तक पानी भर ले ।
नर्सरी प्रबंधन
1 एकर खेत की नर्सरी बनाने के लिए 10 मीटर लम्बी व् 2 मीटर चौड़ी कियारी बनालें उसमे 500 ग्राम कार्बोफुरान और 5 किलोग्राम डी ऐ पी (DAP ) डालकर खेत की गहरी जुताई करके पानी भर दे। अगर 10 दिन बाद नर्सरी पीली पड़ती दिखाई देने लगे तो इसके लिए 166 ग्राम ferrus sulphate को 20 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करे।
श्रीराम सोनाली
अवधि 120 से 125 दिन गुण
किस्म है। यह किस्म थोड़ी सुगंध के साथ लंबे पतले दाने वाली है। यह 120 से 125 दिन की
यह ब्लास्ट के लिए क्षेत्र सहिष्णुता जल तनाव और लवणता के प्रति सहिष्णुता है।
पी एच बी - 71
अवधि
130 से 135 दिन गुण
● इस किस्म की खेती हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु अधिक की जाती है। यह 130 से 135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर
7-8 टन तक होती है।
पूसा बासमती 1692
अवधि
110 से 115 दिन
● यह किस्म 115 दिनों में तैयार
गुण
हो जाती है।
एकड़ 27 क्विंटल तक है।
इसकी उत्पादन क्षमता प्रति
● इसकी पुआल लंबी व दाना खुशबूदार होता है। इसके चावल ज्यादा नहीं टूटते ।
यह किस्म दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए ज्यादा उपयुक्त है।
श्रीराम खुसबू
अवधि
100 से 110 दिन
यह 100 से 110 दिन की
गुण
किस्म है।
पौधे की लम्बाई 105 से 115
सेमी होती है।
• इस किस्म की बुवाई का समय
15 मई से 15 जून तक है।
के आर एच- 2
अवधि
130 से 135 दिन
गुण
● इस किस्म की खेती आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तरांचल में अधिक की जाती है। यह 130 से 135 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
पी आर एच - 10
अवधि
125 से 130 दिन
गुण
यह क़िस्म 125 से 130 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर
5-6 टन तक होती है।
Pusa Basmati 1121
अवधि
130 से 137
गुण
इसका पौधा लंबा होता है। •यह किस्म 137 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो
जाती है।
यह एक सुगन्धित किस्म है जिसकी पकाने की गुणवत्ता बहुत अच्छी है।
• इसकी औसतन पैदावर 13.7 क्विंटल प्रति एकड़ है ।
पायनियर 27P31
अवधि
128 से 132 दिन
गुण
इस क़िस्म के दाने मध्यम लंबे, चमकदार और खाने में स्वादिष्ट होते है।
इसके पौधों की ऊंचाई 110
सेमी तक होती है।
यह 128 से 132 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
इसके प्रति एकड़ खेत से 28
से 30 क्विंटल पैदावार मिल जाती
एराईज 6444
अवधि
135 से 140 दिन
गुण
इस क़िस्म का दाना लम्बा मोटा होता है।
यह मध्यम सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इसकी बुवाई के 135 से 140 दिन में पककर तैयार हो जाती हैं ।
इसके प्रति हेक्टेयर खेत से 80 से 90 क्विंटल पैदावार मिल जाती
है।
प्रो एग्रो- 6444
अवधि
गुण
135 से 140 दिन
इस किस्म की खेती बिहार, उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक में की जाती है।
यह 135 से 140 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
● इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर 6 टन तक होती है।
Pusa Punjab Basmati 1509
अवधि
110 से 120 दिन
गुण
यह जल्दी पकने वाली, किस्म है जो कि 120 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
यह किस्म झुलस रोग को सहने योग्य है।
इसकी पकाने की गुणवत्ता
बहुत अच्छी है।
इसकी औसतन पैदावर 15.7
क्विंटल प्रति एकड़ है।
नरेन्द्र संकर धान - 2
अवधि
गुण
125 से 130 दिन
इस किस्म की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश में की जाती है।
यह 125-130 दिन में पककर
तैयार हो जाती है।
इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर
6-7 टन तक होती है।
श्रीराम रेशमा
अवधि
100 से 115 दिन
गुण
यह 100 से 115 दिन की किस्म है।
पौधे की लम्बाई 90 से 110 सेमी होती है।
• इस किस्म को अन्य किस्मो के आधार पर कम पानी की आवश्कता होती है। इस किस्म की बुवाई का समय 15 मई से 15 जून तक है।
नरेंद्र 118 ( जायद )
अवधि
गुण
90 से 95 दिन
इस किस्म के दाने लंबे, पतले तथा सफेद होते हैं।
90 से 95 दिन में पक कर
तैयार हो जाती है।
इसका प्रयोग कम सिंचाई वाले क्षेत्रों में किया जाता है।
पौधे की ऊंचाई 85 सेंटीमीटर की लगभग हो जाती है। इसकी खेती सभी राज्यों में
साकेत 4 ( जायद )
अवधि
110 से 120 दिन
गुण
इस किस्म के दाने मध्यम, लंबे तथा सफेद होते हैं।
110 से 120 दिन में पूरी तरह पककर तैयार हो जाती है।
← पौधे की ऊंचाई 85 से 90
सेंटीमीटर के लगभग होती है।
← यह बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट रोग प्रतिरोधी किस्म है।
← औसतन पैदावार 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त होती है।
इसकी खेती बिहार, उत्तर प्रदेश तथा जम्मू कश्मीर में मुख्य तौर पर की जाती है।
पंत धान 12 ( जायद)
अवधि
120 से 125 दिन
गुण
इस किस्म के पौधे मध्यम ऊंचाई के होते है।
122 से 124 दिन में पूरी तरह पककर तैयार हो जाती है।
बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट तथा बीपीएच रोग प्रतिरोधी किस्म है।
औसतन पैदावार 50 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त होती है।
इसकी खेती मुख्य तौर पर उत्तर प्रदेश में की जाती है।
कावेरी चिंटू
अवधि
160 से 170 दिन
इस किस्म के दाने पतले तथा
गुण
छोटे होते हैं।
• बाली लंबी तथा गुच्छेदार
होती है।
160 से 170 दिन में पक कर तैयार हो जाती है।
पौधे की लंबाई 105
पूसा बासमती 1637
अवधि
गुण
130 से 135 दिन
इस किस्म के पौधे कम ऊंचे तथा मजबूत होते हैं ।
130 से 135 दिन में पक कर तैयार हो जाती है।
दाने मजबूत, चमकदार तथा वजनदार होते हैं।
● ब्लास्ट रोग के प्रति सहनशील
किस्म है।
पौधे की ऊंचाई 100 सेंटीमीटर तक हो जाती है।
← औसतन पैदावार 22 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त हो जाती है।
Pusa Basmati- 1718
अवधि
135 से 140 दिन
गुण
इस किस्म के दाने लंबे तथा खाने में स्वादिष्ट होते हैं।
135 से 140 दिन में पक कर तैयार हो जाती है।
1000 दानों का वजन 22 से 24 ग्राम तक होता है।
गॉल मिज, ब्लास्ट और जीवाणु पत्ती धब्बा रोग प्रतिरोधी किस्म है।
औसतन पैदावार 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त होती है।
खेती उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, बिहार तथा तमिलनाडु में मुख्य तौर पर की जाती है।
बीज की मात्रा
धान की बीज की मात्रा बुवाई की पद्धति के अनुसार अलग-अलग होती है। जैसे छिटकवां विधि से बोने के लिये 40 किलोग्राम प्रति एकर, सीधी बुआई कतार मे बीज बोने के लिये 30 किलोग्राम प्रति एकर, रोपाई पद्धति में 12-16 किलोग्राम प्रति एकड़ उपयोग में लाया जाता है। संकर किस्मों की रोपा पद्धति में 5 से 6 किलोग्राम प्रति एकर एवं SRI पद्धति में 2 किलोग्राम प्रति एकर बीज की आवश्यकता होती है।
बीज उपचार
बीज को बोने से पहले पानी में 8 से 10 घंटे तक भिगोएं, पानी के अंदर 1 ग्राम Streptocyclin प्रति 10 किलो बीज के हिसाब से डालें। या 2 ग्राम कार्बोनडाज़िम को 1 किलोग्राम बीज में मिलाये। ऊपर आये थोते बीजों को निकाल दें बचे हुए स्वस्त बीजों को एक बोरी पर एक सामान ढंग से फैला दें व् उसको एक दूसरी गीली बोरी से ढक दें इस बोरी पर नियमित रूप से पानी का छिड़काव करते रहें और उसे नम रखें बीज को 24 घंटे तक रखने के बाद जब वह उपजने लग जाये तब उसकी बुवाई कर दें.
बुआई का तरीका
धान की नर्सरी की बुवाई छिटका विधि से की जा सकती है। रोपाई के समय पौधे से पौधे की दूरी 15 सेमी और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 सेमी रखे।
उर्वरक व खाद प्रबंधन
बुवाई के समय
धान की फसल रोपाई के समय 1 एकर खेत में 100 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट (ssp ),50 किलोग्राम पोटाश (Potash ), 50 किलोग्राम डी ऐ पी (DAP), 25 किलोग्राम यूरिया (Urea ), 10 किलोग्राम कार्बोफुरान(Carbofuran) का इस्तेमाल करे।
बुवाई के 10 से 15 दिन बाद
फसल रोपाई के 10 से 15 दिन बाद 1 एकर खेत में 25 किलोग्राम यूरिया ( Urea ), 3 किलोग्राम सल्फर (sulphur),8 किलोग्राम बायो जायम (Bio -Zayam ) का इस्तेमाल करे
बुवाई के 35 से 40 दिन बाद
फसल रोपाई के 35 दिन बाद 1 एकड़ खेत में 1 से 2 किलोग्राम NPK 20:20:20 का फसल पर स्प्रे करे ।
बुवाई के 45 से 50 दिन बाद
फसल रोपाई के 45 से 50 दिन बाद 1 एकर खेत में 25 किलोग्राम यूरिया (Urea ), 5 किलोग्राम जायम (Zayam),8 किलोग्राम जिंक (Zinc) का इस्तेमाल करे।
सिंचाई
धान की फसल रोपाई करने के बाद खेत में दो सप्ताह तक अच्छी तरह पानी खड़ा रहने दे। जब खेत का पानी सूख जाए तो उसके दो दिन बाद फिर से पानी को भर दे। खड़े पानी की गहराई 8 से 10 सेमी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। धान की फसल में मुख्य सिचाई अवस्था निम्न है।
बुवाई के समय
धान की फसल में पहली सिचाई फसल रोपाई के समय करे इसके 2 सप्ताह तक खेत में पानी भरकर रखे।
बुवाई के 40 से 45 दिन बाद
धान की फसल रोपाई के 40 से 45 दिन पर फुटाव की अवस्था में सिचाई करना आवश्यक है।
बुवाई के 70 से 75 दिन बाद
धान की फसल रोपाई के 70 से 75 दिन की अवस्था में सिचाई करना आवश्यक है।
बुवाई के 90 से 95 दिन बाद
धान की फसल रोपाई के 90 से 95 दिन पर फ्लॉवरिंग की अवस्था में सिचाई करना आवश्यक है।
बुवाई के 100 से 120 दिन बाद
धान की फसल रोपाई के 110 से 115 दिन पर
मिल्किंग अवस्था में सिचाई करना आवश्यक है।
फसल की कटाई
धान की फसल किस्मो के अनुसार 100 से 150 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है
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