गेंहू की संपूर्ण जानकारी A To Z
बुआई का समय
रबी में
बुआई का समय
10 अक्टूबर से 15 दिसंबर के
फसल अवधि
150 से 160 दिन
[caption id="attachment_1544" align="alignnone" width="300"]
तापमान, मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई
गेहूँ की फसल बुवाई के समय तापमान 18 से 22 डिग्री सेल्सियस और फसल कटाई के समय तापमान 20 से 26 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। गेंहू की फसल के लिए बलुई दोमट या चिकनी दोमट मिट्टी वाली मिट्टी का चयन करे। जिस खेत का चयन करे उसमें जल निकास की उचित व्यवस्था हो । फसल के लिए चयन की गई मिट्टी का पी.एच मान 6 से 8 के बीच का होना चाहिए। गेहूँ की फसल बुवाई से 15 दिन पहले 1 एकड़ खेत 8 टन सड़ी हुए गोबर की खाद डालकर खेत की 1 जुताई करके सिचाई कर दे। इसके बाद खेत की 3 से 4 जुताई के बाद बीज बुआई करके पट्टा फेर दे।
बीज की मात्रा
गेहूँ की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए 36 से 40 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
उन्नत किस्में (Varieties)
Shriram Super 111
अवधि
80 से 85 दिन
गुण
यह 85 दिन की किस्म है। इसके पौधे की लम्बाई 107 सेमी तक होती है। यह किस्म Brown rust की प्रतिरोधी है।
Shriram Super 152
अवधि
95 से 97 दिन
गुण
यह 95 से 97 दिन की किस्म है। इसके पौधे की लम्बाई 102 सेमी होती है।
Shriram Super 152
अवधि
95 से 97 दिन
गुण
यह 95 से 97 दिन की किस्म है। इसके पौधे की लम्बाई 102 सेमी होती है।
HD 2967
अवधि
155 से 157 दिन
गुण
यह लम्बे कद की किस्म है। इसके पौधे की लम्बाई 101 सेंमी होती है। इसके दाने सुनहरे, मध्यम, सख्त और चमकदार होते हैं। यह लगभग 157 दिनों में पक जाती है। यह पत्तों के पीलेपन और भूरेपन से रहित है। इसकी औसत पैदावर 21.5 क्विंटल प्रति एकड़ है।
HD 2851
अवधि
125 से 130 दिन
गुण
यह 130 दिन की किस्म है। इसके पौधे की लम्बाई 80 से 90 सेमी तक होती है। इसके दानो में 11 से 12% प्रोटीन की मात्रा होती है।
HD 3086 (Pusa Gautam)
अवधि
गुण
125 से 130 दिन
इस किस्म की औसत पैदावार 23 क्विंटल प्रति एकड़ है। यह पीली और भूरी जंग के प्रतिरोधी है। अच्छे किस्म के बरैड बनाने के सभी गुण / तत्व इस किस्म में मौजूद हैं।
UNNAT PBW 343
अवधि
150 से 155 दिन
गुण
यह किस्म सिंचित क्षेत्रों और समय पर रोपाई के लिए उपयुक्त है। पकने के लिए 155 दिनों का समय लेती है। इसकी औसत पैदावार 23.2 क्विंटल प्रति एकड़ है।
करण वंदना (DBW 187 )
अवधि
110 से 120 दिन
गुण
करण वंदना (DBW 187 ) पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, असम और पश्चिम बंगाल के उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्रों की सिंचित समय पर बुवाई की जाने वाली नवीनतम गेहूँ की किस्म है। यह पत्तों के झुलसने और उनके अस्वस्थ दशा जैसी महत्त्वपूर्ण बीमारियों के खिलाफ बेहतर प्रतिरोध करता है। बुवाई के 77 दिनों बाद करण वंदना फूल देती है और 120 दिनों बाद परिपक्व
HW-5207
अवधि
120 से 130 दिन
गुण
गेहूं की यह किस्म कम सिचाई में भी भरपूर उत्पादन देती है । यह औसतन 40.76 क्विन्टल प्रति हेक्टेयर उपज देने वाली किस्म है यह लीफ रस्ट व स्टेम रस्ट के प्रतिरोधी किस्म है।
सुजाता
अवधि
120 से 130 दिन
गुण
गेहूं की यह किस्म काला व भूरा गेरुआ रोग सहनशील है व असिंचित अवस्था के लिये उपयुक्त है यह 130 दिन में पकती है व इसका उत्पादन 13-17 क्विन्टल प्रति हेक्टेयर की दर से होता है।
सोनालिका
अवधि
गुण
110 से 120 दिन
इस किस्म की अधिकतर देर से बुवाई की जाती है। इसके दाने मोटे होते है और गेरूआ से प्रतिरोधक है। यह 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इससे प्रति हेक्टेयर 30 से 35 क्विंटल उपज मिल जाती है।
पूसा मंगल (HI 8713)
अवधि
120 से 125 दिन
गुण
इस किस्म की बुवाई 15 नवम्बर से 25 नवंबर तक की जाती है। इसका दाना हल्का होता है। इसके पौधे की लंबाई 80 से 85 सेंटीमीटर होती है। इसमें 3-4 सिंचाई की जाती है। यह 120 से 125 दिन में पककर 50 से 60 क्विंटल तक पैदावार देती हैं।
पूसा यशस्वी (HD -3226)
अवधि
120 से 130 दिन
गुण
इस किस्म की बुवाई 5 नवंबर से 25 नवंबर तक कर सकते है। इसकी खेती जम्मू कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड के लिए उपयुक्त है। यह करनाल बंट, फफूंदी और गलन रोग से प्रतिरोधक हैं। इससे प्रति हेक्टेयर 60 से 80 क्विंटल की उपज ले सकते है।
पूसा अनमोल (HI 8737)
अवधि
125 से 130 दिन
गुण
यह कठिया गेहूं की किस्म है। इसका दाना आकार में बड़ा होता है। इसमें पौधा गिरने और खिरने की समस्या नहीं आती है। यह 125 से 130 दिनों में पककर 60-70 क्विंटल तक पैदावार देती है।
DBW - 222
अवधि
140 से 150 दिन
गुण
यह किस्म 'करण नरेंद्र' के नाम से भी जानी जाती है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल बोई जाती है। इसकी बुवाई 25 अक्टूबर से 25 नवंबर तक कर सकते हैं। पौधे की ऊंचाई 90 से 100 सेंटीमीटर तक हो जाती है। अन्य किस्मों से अपेक्षाकृत 20 से 25 फीसदी कम पानी की आवश्यकता होती
गुण
यह किस्म 'करण वैष्णवी के नाम से भी जानी जाती है। यह गेहूं की सबसे नई किस्म है। पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, जम्मू कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश में इसे बोया जाता है। इसमें 12 से 15 किल्ले तक हो सकते हैं। इसकी बुवाई 20 अक्टूबर से 25 नवंबर तक कर सकते हैं। पौधे की ऊंचाई 85 सेंटीमीटर तक होती है। औसतन पैदावार 81.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है।
99 से 100 दिन
श्रीराम सुपर 303
अवधि
गुण
यह कम अवधि में अच्छा उत्पादन देने वाली उन्नत किस्म है। इसके दाने मोटे एवं चमकदार होते हैं। कल्लों की संख्या 18 से 20 प्रति पौधा तक होती है। औसतन पैदावार 27 से 28 क्विंटल प्रति एकड़ हो जाती है। इसकी खेती उत्तर प्रदेश, बिहार, असम,
श्रीराम सुपर 252
अवधि
गुण
यह अच्छी उत्पादकता और बेहतर गुणवत्ता वाली किस्म है इसके पौधे की लंबाई 90 से 100 सेंटीमीटर तक हो जाती है कल्लों की संख्या 17 से 18 प्रति पौधे होती है। औसतन पैदावार 24 से 25 क्विंटल प्रति एकड़ तक होती है। इसकी खेती मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड आदि राज्यों में मुख्य तौर पर की जाती है।
GW 300
अवधि
इसके दाने चमकदार एवं मोटे होते हैं। पौधे की लंबाई 85 से 90 सेंटीमीटर तक होती है। कल्लों की संख्या 15 से 16 प्रति पौधे होती है। औसतन पैदावार 18 से 20 क्विंटल प्रति एकड़ तक होती है। इसकी खेती उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा,
स्टार 325
अवधि
गुण
यह किस्म पीला रतुआ रोग प्रतिरोधी है। पौधों की ऊंचाई 95 से 100 सेंटीमीटर तक हो जाती है। कल्लों की संख्या 19 से 20 प्रति पौधा तक होती है। औसतन पैदावार 30 से 32 क्विंटल प्रति एकड़ तक होती है। इसकी खेती पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में मुख्य तौर पर की जाती है।
BWS 323
अवधि
135 से 140 दिन
गुण
इस किस्म की बालियां पूर्ण रूप से भरी हुई एवं सफेद होती हैं। यह 135 से 140 दिन में पूरी तरह पक कर तैयार हो जाती है। इसके पौधे की ऊंचाई 95 से 100 सेंटीमीटर तक हो जाती है। औसतन पैदावार 27 से 28 क्विंटल प्रति एकड़ तक
Syngenta S.W-23
अवधि
गुण
श्रीराम सुपर 272
अवधि
गुण
125 से 130 दिन
यह किस्म 125 से 130 दिन में पूरी तरह पक कर तैयार हो जाती है। इसके पौधे की ऊंचाई 92 से 95 सेंटीमीटर तक होती है। कल्लों की संख्या 18 से 20 प्रति पौधा होती है। औसतन पैदावार 25 से 26 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। इसकी खेती पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ राज्यों में मुख्य तौर पर की जाती है।
इस किस्म की बाली लंबी एवं आकर्षित होती vec 8 1 कल्लों की संख्या 17 से 18 प्रति पौधा होती है। पौधे की ऊंचाई 90 से 95 सेंटीमीटर तक हो जाती है। औसतन पैदावार 23 से 24 क्विंटल प्रति एकड़ तक होती है।
PBW 550
अवधि
140 से 145 दिन
गुण
यह अगेती किस्म है। पीला रतुआ रोग प्रतिरोधी किस्म है। 140 से 145 दिन में पूरी तरह पककर तैयार हो जाती है। पौधे की लंबाई 84 से 86 सेंटीमीटर तक होती है। औसतन पैदावार 22 से 30 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। इसकी खेती पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड में मुख्य तौर पर की जाती है।
WH 1105
अवधि
150 से 157 दिन
गुण
यह किस्म पीला रतुआ रोग प्रतिरोधी है। पौधे की लंबाई 95 से 97 सेंटीमीटर तक हो जाती है 150 से 157 दिन में पूरी तरह पककर तैयार हो जाती है। औसतन पैदावार 23 से 24 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। इसकी खेती उत्तर प्रदेश, बिहार,
502
अवधि
130 से 135 दिन
गुण
यह किस्म पंजाब कृषि
विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की
गई है यह समय पर बुवाई और सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है यह स्ट्रिप रस्ट और लीफ रस्ट के लिए प्रतिरोधी है ऊंचाई: 95-100 सेमी सिर सफेद होते हैं, दाने पीले रंग के होते हैंपरिपक्वता अवधि
130-135 दिन
उपज: 55-60 क्विंटल प्रति
हेक्टेयर
बीज उपचार
गेहूँ की फसल को मृदा और बीज जनित रोगों से बचाव हेतु बीज को कार्बोक्सिन 37.5% + थाइरम 27.5% @ 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें। यदि खेत में दीमक हो तो बचाव हेतु क्लोरपाइरीफॉस 20% ईसी 4 मिली प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें। इसके बाद बीज को एजोटोबेक्टर कल्चर 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज एवं पीएसबी कल्चर 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें। बीज को उपचारित करने के बाद छाया में सुखाकर तुरंत बुआई करें।
बुआई का तरीका
गेहूँ की बुवाई 2 तरीके से होती है छिटका विधि से और कतारों में। कतार में बुवाई के समय पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 22 सेमी रखे।
उर्वरक व खाद प्रबंधन
बुवाई के समय
फसल बुवाई के समय खाद की मात्रा मिटटी की जांच के अनुसार डाले। 3 साल में 1 बार मिट्टी की जांच जरूर करवाए।
फसल बुवाई के समय 1 एकर खेत में 10 किलोग्राम कार्बोफुरान, 50 किलोग्राम डी ए पी 50 किलोग्राम पोटाश, 25 किलोग्राम यूरिया, 8 किलोग्राम जायम, का इस्तेमाल करे।
बुवाई के 20 से 25 दिन बाद
फसल बुवाई के 20 से 25 दिन बाद 1 एकर खेत में 25 किलोग्राम यूरिया, 8 किलोग्राम जायम 3 किलोग्राम सल्फर का प्रयोग करे ।
बुवाई के 45 से 50 दिन बाद
फसल बुवाई के 45 से 50 दिन बाद 1 एकर खेत में 40 किलोग्राम यूरिया, 8 किलोग्राम जायम प्रयोग करे।
बुवाई के 60 से 70 दिन बाद
फसल बुवाई के 60 से 65 दिन बाद 1 एकर खेत में 1 किलोग्राम NPK 19:19:19 को 100 से 150 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करे ।
बुवाई के 90 से 95 दिन बाद
फसल बुवाई के 90 से 95 दिन बाद 1 एकर खेत में 1 किलोग्राम NPK 0:52:34 को 100 से 150 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करे ।
सिंचाई
गेहूँ की फसल में 6 सिचाई की आवश्कता होती है।
बुवाई के 20 से 25 दिन बाद
गेहूँ की फसल में 20 से 25 दिन पर पहली सिचाई की आवश्कता होती है।
बुवाई के 45 से 50 दिन बाद
गेहूँ की फसल में 45 से 50 दिन पर दूसरी सिचाई की आवश्कता होती है।
बुवाई के 60 से 70 दिन बाद
गेहूँ की फसल में 60 से 65 दिन पर तीसरी सिचाई की आवश्कता होती है।
बुवाई के 80 से 85 दिन बाद
गेहूँ की फसल में 80 से 85 दिन पर चौथी सिचाई की
बुवाई के 100 से 110 दिन बाद
गेहूँ की फसल में 100 से 105 दिन पर पांचवी सिचाई की आवश्कता होती है।
बुवाई के 100 से 120 दिन बाद
गेहूँ की फसल में 110 से 120 दिन पर छटी सिचाई की आवश्कता होती है।
फसल की कटाई
गेहूं की कटाई का कोई निश्चित समय नहीं है, क्योंकि यह बीज और बुवाई के तरीके पर निर्भर करता है। फिर भी जानते हैं गेंहू की कटाई के सही समय और सावधानियों के बारे में
गेंहू की कटाई से पहले बाली को हाथ से मसलकर देखें कि बाली पूरी तरह से पकी है या नहीं।
● गेंहूं की कटाई आमतौर पर 15 मार्च से 15 अप्रैल के बीच शुरू हो जाती हैं।
फसल पकने पर पत्तियां सूखने लगती हैं और बालियां सुनहरी व पीली पड़ जाती हैं ।
किसान भाइयों हाथ से कटाई करने पर दाने में नमी 25 से 30 प्रतिशत होनी चाहिए।
कटाई के बाद फसल को अच्छी तरह सुखाकर एकत्रित करें।
गेंहू की कंबाइन हार्वेस्टर से कटाई के समय नमी 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।
हाथ से कटाई अच्छी दरातियों से या रीपर बाइंडर
मशीन द्वारा करें।
3 Comments
[…] समन्वित खरपतवार नियंत्रण- […]
ReplyDelete[…] […]
ReplyDelete[…] […]
ReplyDelete