देश में बिजली संकट आ गया! समझिए किस वजह से बन रहे हैं ये बड़ी वजहें

देश में बिजली संकट आ गया! समझिए किस वजह से बन रहे हैं ये बड़ी वजहें

 

आखिर ऐसा क्या हो गया कि देश में बिजली संकट आ गया! समझिए किस वजह से बन रहे हैं ये बड़ी वजहें





  • Coal Crisis In India: बिजली संकट को लेकर कई खबरें आ रही हैं कि अब देश में बिजली संकट आने वाला है और कई राज्यों में पावर कट भी शुरू हो गया है. ऐसे में जानते हैं कि यह स्थिति किस वजह से पैदा हो गई है.

देश के कई राज्यों में बिजली संकट की खबरें आ रही हैं. कहा जा रहा है कि ज्यादा दिन की बिजली ना होने की वजह से दिक्कत आ रही है और बिजली का उत्पादन कोयला संकट की वजह से अटका हुआ है. दरअसल, कोयले की कमी की वजह से बिजली का उत्पादन प्रभावित हुआ है और अब बिजली संकट गहराता जा रहा है. ऐसे में कई राज्यों ने पावर कट का ऐलान भी किया है और बिजली बचाने के लिए कटौती की जा रही है.

लेकिन, सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि एकदम से कोयले का संकट आ गया और कोयले की कमी की वजह से बिजली का उत्पादन प्रभावित हो गया है. अगर आपके मन में भी ये सवाल है तो आपको बताते हैं कि आखिर किस वजह से बिजली संकट पैदा हुआ है. साथ ही आपको आसान भाषा में पूरा मामला समझाते हैं ताकि आपको बिजली संकट के बारे में पता चल सके.


  • बिजली की मांग में हुआ इजाफा
कोरोना का कहर कम होने के बाद औद्योगिक गतिविधियां तेज होने के चलते पूरी दुनिया में 2019 के मुकाबले 18 फीसदी बिजली की मांग बढ़ी है. इस कारण कोयले के दाम में 40 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है. बढ़ती कीमतों के चलते भारत का कोयला आयात 2 साल के निम्नतम स्तर पर पहुंच गया है. 


  • बारिश भी बनी विलेन
कोयला संकट के पीछे बारिश भी वजह बनी. दरअसल, पूर्वी और मध्य भारत में हुई मानसूनी बारिश के चलते कोयला खदानों में खनन प्रभावित हुआ है. यातायात मार्ग भी प्रभावित हुए हैं. इसके अलावा मानसून की शुरुआत में कोयले का पर्याप्त स्टॉक नहीं हो सका. वहीं, कई सरकारी पावर जनरेशन कंपनियों ने कोल इंडिया को भुगतान नहीं किया है.


  • क्यों है बिजली का संकट?

भारत में करीब 72 फीसदी बिजली की मांग कोयले के जरिए पूरी की जाती है. पहले कोयले से बिजली बनती है और इस बिजली को बिजली बनाने वाली कंपनियां इंडस्ट्री या आम लोगों तक भेजती हैं. इसके लिए कंपनियां चार्ज लेती है और यूनिट आदि के आधार पर पैसे लेती हैं. अब हुआ क्या है कि देश में कोयले की कमी आ गई है, इसलिए बिजली का उत्पादन प्रभावित हुआ है और साथ ही बिजली की खपत भी काफी ज्यादा बढ़ गई है. इस वजह से बिजली का संकट बढ़ गया है.

इसके अलावा, बिजली संयंत्रों में कोयले के भंडार में कमी होने के चार कारण हैं- अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के कारण बिजली की मांग में अभूतपूर्व बढ़ोतरी, कोयला खदानों में भारी बारिश से कोयला उत्पादन और ढुलाई पर प्रतिकूल प्रभाव, आयातित कोयले की कीमतों में भारी बढ़ोतरी और मानसून से पहले पर्याप्त कोयला स्टॉक न करना. केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, बिजली आपूर्ति बाधित होने का बिल्कुल भी खतरा नहीं है. कोल इंडिया लिमिटेड के पास 24 दिनों की कोयले की मांग के बराबर 43 मिलियन टन का पर्याप्त कोयले का स्टॉक है. कोयला मंत्रालय ने भी आश्वस्त किया कि बिजली संयंत्रों की मांग को पूरा करने के लिए देश में पर्याप्त कोयला उपलब्ध है.

बता दें कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बाद से बिजली की मांग काफी बढ़ गई है और इंडस्ट्री में काम आने वाली बिजली की मांग भी बढ़ गई है. बताया जा रहा है अगस्त 2021 से बिजली की मांग में बढ़ोतरी देखी जा रही है. अगस्त 2021 में बिजली की खपत 124 बिलियन यूनिट (बीयू) थी, जबकि अगस्त 2019 में (कोविड अवधि से पहले) खपत 106 बीयू थी. यह लगभग 18-20 प्रतिशत की वृद्धि है. अब सवाल ये है कि आखिर कोयले की कमी क्यों हो गई है.

  • क्यों कम हो रहा कोयला?

दरअसल, कुछ महीनों से कोयले की घरेलू कीमतों और वैश्विक कीमतों में बड़ा अंतर देखने को मिल रहा है. इससे कोयले का आयात प्रभावित हुआ है और कम हो गया है. रायटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 80 फीसदी से अधिक कोयले का उत्पादन करने वाली कोल इंडिया (COAL.NS) का कहना है वैश्विक कोयले की कीमतों और माल ढुलाई लागत में वृद्धि से आयात होने वाले कोयले से बनने वाली बिजली में कमी आई है, जिससे यह स्थिति बन गई है. अब जानते हैं कि कीमतों में अंतर क्यों हो गया है?

  • कीमत में अंतर क्यों?

दरअसल, भारत में घरेलू कोयले की कीमतें काफी हद तक कोल इंडिया की ओर से तय की जाती है. साथ ही कोयले की कीमतों में बढ़ोतरी या कमी से कई चीजों पर असर पड़ता है, जिससे बिजली की कीमतों से लेकर मुद्रास्फीति प्रभावित होती है. हुआ ये कि हाल ही में कुछ महीनों में वैश्विक स्तर पर कोयले की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी के बाद भी कोल इंडिया ने कोयले की कीमतों को स्थिर रखा, इससे यहां की कीमतें कम रहीं और कोयला आयात कम हुआ. ऐसे में वैश्विक कीमतों के आधार पर कोयले की कीमत तय ना होने से भी यह स्थिति बन गई है.

  • कई राज्य सरकारों ने किया पावर कट

अब कई राज्य जैसे पंजाब, केरल, राजस्थान, दिल्ली, झारखंड आदि ने पावर कट का ऐलान कर दिया है. ऐसे में पंजाब ने 13 अक्टूबर तक पावर कट को बढ़ा दिया है.


  • चीन में फंसा है 20 लाख टन कोयला
खबरें हैं कि भारत का 20 लाख टन कोयला चीन में फंसा हुआ है. चीन के पोर्ट पर फंसा कोयला भारत ने अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए ऑस्ट्रेलिया से मंगवाया था. बता दें कि भारत सबसे ज्यादा कोयले का आयात ऑस्ट्रेलिया से ही करता है.


  • केजरीवाल ने लिखा पत्र
कोयले की कमी के बीच देश के कुछ राज्यों में बिजली संकट का असर दिखने भी लगा है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा कि कोयले से चलने वाले 135 संयंत्रों में से आधे से अधिक के सिर्फ 3 दिन का कोयला बचा है. उन्होंने दिल्ली को कोयले और गैस की आपूर्ति के लिए प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप का आग्रह किया है. खबरें हैं कि उत्तर प्रदेश में 8 संयंत्र अस्थायी रूप से ठप हो गए हैं. पंजाब और आंध्र प्रदेश ने भी मामले में चिंता जताई है.





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