टमाटर खेती की पूरी जानकारी

टमाटर खेती की पूरी जानकारी

टमाटर खेती की पूरी जानकारी


टमाटर की खेती सालभर कमाएं पैसा ही पैसा, जानें टमाटर खेती के बारे में पूरी जानकारी


[caption id="attachment_1846" align="alignnone" width="1280"]टमाटर खेती की पूरी जानकारी टमाटर खेती की पूरी जानकारी[/caption]

टमाटर की खेती से कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाने की तकनीक के बारे में जानें


टमाटर एक ऐसी लोकप्रिय सब्जी है, जो पूरी दुनिया में सबसे अधिक खायी जाती है और इसका इस्तेमाल लगभग हर तरह की सब्जियों में होता है। टमाटर का सेवन मानव शरीर के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि टमाटर के अंदर कई तरह के पोषक तत्व जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन फास्फोरस एवं अन्य खनिज लवण प्रचुर मात्रा में उपस्थित रहते है। इसके फल में लाइकोपीन नामक वर्णक (पिगमेंट) पाया जाता है।

जिसे विश्व का सबसे महत्वपूर्ण एंटीऑक्सीडेंट बताया गया है। इन सबके अलावा करोटिनायडस एवं  विटामिन सी जैसे तत्व बहुतायत प्रचुर मात्रा में उपस्थित होते हैं। टमाटर का उपयोग सब्जियों के अलावा सलाद में भी किया जाता है। टमाटर का व्यापारिक इस्तेमाल भी किया जाता है। व्यापारिक स्तर पर इसके ताजे फल के अतिरिक्त परिरक्षित करके सास (केचप), प्यूरी, जूस, सूप, अचार इत्यादि के रूप में इस्तेमाल में लाया जाता है।

इसकी खेती में इन बातों का विशेष ध्यान रखें



  • टमाटर की खेती को पूरे साल किया जा सकता है, परन्तु ठंडियों के मौसम में इस पर खास ध्यान देना पड़ता है क्योकि सर्दियों के मौसम में गिरने वाले पाले से इसकी फसल को हानि पहुँचती हैं।

  • इसके अलावा भी कई बातो का खास ध्यान रखना पड़ता है जैसे - टमाटर की खेती के लिए मानक तापमान, टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी (दोमट मिट्टी) की आवश्यकता होती हैं।

  • अगर आप टमाटर की खेती करने जा रहे हैं तो अधिक उत्पादन चाहते हैं तो आपको दो पौधों के बीच की दूरी का विशेष ध्यान रखना होगा।

  • इसके दो पौधों और कतार के बीज की दूरी 60 सेंटी मीटर रखनी ही चाहिए।

  • इसकी खेती में खाद एवं उर्वरक का उपयोग मिट्टी जांच के अनुसार ही प्रयोग में लाये।

  • अच्छी पैदावार के लिए खेत तैयार करते समय  25 से 30 टन गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करें।



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टमाटर की उन्नत किस्मों के बारें में


टमाटर की फसल किसानों के लिए नियमित आय का एक बेहतर जरिया है। टमाटर की खेती बढि़या और उन्नत किस्मों से की जाये तो इसकी खेती से काफी ज्यादा लाभ अर्जित किया जा सकता हैं। आज कल बाजारों में टमाटरों की कई विकसित एवं उन्नत किस्में मौजूद है। इन किस्मों को अलग अलग वातावरण और जलवायु के हिसाब से तैयार किया गया है। इन किस्मों के अलावा टमाटर की कई ऐसी संकर किस्में को भी तैयार किया गया है, जिनका उपयोग कर किसान अधिक पैदावार प्राप्त कर रहे है। टमाटर की कुछ ऐसी ही उन्नत एवं संकर किस्मों का हम नीचे उल्लेख कर रहे है। इन किस्मों की खेती कर किसाना कम लागत में अधिक लाभ कमा सकते है।

  • टमाटर की देशी किस्में - पूसा शीतल, पूसा-120, पूसा रूबी, पूसा गौरव, अर्का विकास, अर्का सौरभ और सोनाली प्रमुख हैं।

  • टमाटर की हाइब्रिड किस्में - पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा हाईब्रिड-4, रश्मि और अविनाश-2 प्रमुख हैं। इन किस्मों के अलावा कुछ अन्य उन्नत किस्में जैसे - स्वर्णा नवीन, स्वर्णा लालीमा, काशी अमन, काशी विशेष, स्वर्णा वैभव, स्वर्णा सम्पदा, काशी अभिमान इत्यादि किस्में मौजूद है।


टमाटर की सबसे अच्छी किस्म 


भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान ने टमाटर की एक ऐसी किस्म तैयार की है, जिसके एक पौधे से 19 किलो टमाटर का उत्पादन हो रहा है। टमाटर की इस नई उन्नतशील किस्म का नाम अर्का रक्षक है। इस किस्म की खास बात ये हैं की इसमें न ही रोग लगते है और न ही कीट लगते हैं। यही वजह है की टमाटर की यह किस्म किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है। इस किस्म के प्रयोग से किसानों को कीट और रोग के लिए लगने वाला अतिरिक्त खर्च बच जाता है।

टमाटर की खेती के किस प्रकार की भूमि का चुनाव


टमाटर की खेती रेतली, चिकनी, दोमट, काली लाल मिट्टी इत्यादि हर प्रकार की मिट्टी में सफलतापूर्वक की जा सकती है। टमाटर की खेती करने के लिए जल निकासी वाली उपयुक्त मिट्टी का होना जरूरी होता हैं। इसकी खेती के लिए बालुई दोमट मिट्टी का सबसे उपयुक्त माना गया है। पर टमाटर की खेती किसी भी अच्छे जल निकासी वाली किसी भी प्रकार की भूमि पर कर सकते हैं। किन्तु ध्यान रहे मिट्टी में उचित मात्रा में पोषक तत्व जरूर होने चाहिए तथा मिट्टी का पी.एच मान भी 6 से 7 के मध्य होना चाहिए। ऐसी भूमि जहाँ पर जल का भराव अधिक रहता हो वहाँ पर खेती करना उचित नहीं होता है।

टमाटर की खेती किस प्रकार की जलवायु में करें?


टमाटर एक ऐसी सब्जी है जो गर्म जलवायु में ही उगाई जाती है, लेकिन इसकी खेती ज्यादातर ठंडे मौसम में की जाती है। टमाटर को सम्पूर्ण भारत में सफलतापूर्वक किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है। इसकी खेती के लिए किसी खास तरह की जलवायु की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन इसकी अच्छी उपज के लिए एक आदर्श ताप एवं जलवायु की आवश्यकता होती है। टमाटर की खेती में तापमान का बहुत अधिक महत्व होता है। टमाटर के बीज को अंकुरित होने के लिए सामान्यता 20 से 25 डिग्री का तापमान तथा पौधे के विकास के लिए अच्छा माना जाता हैं।

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टमाटर की बुवाई का समय 


सब्जी में लोकप्रिय माने जाने वाले टमाटर की फसल साल में तीन बार ली जाती है। इसके लिए मई-जून, सितंबर-अक्टूबर और जनवरी फरवरी में बुआई की जाती है।

रोपाई के लिए ऐसे तैयार करें खेत


खेत को तैयार करने के लिए सबसे पहले खेत में गोबर की सड़ी खाद 20 से 25 टन प्रति हैक्टेयर के हिसाब से डाल कर जुताई करें।  दूसरी जुताई में उर्वरक देनी होगी। इसमें 180 किलो नाइट्रोजन और 80-100 किलो फास्फोरस पोटाश देनी होगी। नत्रजन को रोपाई के 20-25 दिन बाद में 180 को तीन चार भागों में बांट कर देना चाहिए। खेत टमाटर के पौधे की रोपाई के लिए आधा-पौन फीट उठी हुई जमीन पर क्यारी बनानी चाहिए। इसमें तीन या चार अंगुल की दूरी पर कतार में बीज रोपित करें। कतार की आपसी दूरी भी इतनी ही होनी चाहिए।

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ऐसे तैयार करें पौधों को

टमाटर के बीजो को सीधा खेत में न उगाकर पहले इन्हे आप नर्सरी में तैयार कर सकतें है। एक हेक्टेयर खेत की रोपाई के लिए नर्सरी तैयार करने के लिए लगभग 350 से 450 ग्राम बीज पर्याप्त होता है। यदि संकर किस्म के पौधे है तो उनमे 150 से  250 ग्राम तक बीज ही काफी होते हैं। आप किसी टमाटर से बीज निकालें। अगर बीज की क्वॉलिटी को लेकर सुनिश्चित न हों तो स्थानीय नर्सरी से टमाटर के बीज खरीद सकते हैं।

उसके बाद बीजो को उगाने के लिए उचित आकार की क्यारियों का निर्माण करें। क्यारियों का निर्माण के वक्त गोबर की खाद के साथ मिट्टी में कार्बोफ्यूरान की उचित मात्रा को अच्छे से मिला दें। इससे पौधों को रोग ग्रस्त होने से बचाया जा सकता है। अब इस तैयार क्यारियों में टमाटर के बीज डालें। उसके बाद ऊपर से मिट्टी डालकर बीजों को ढंक दें। कुछ दिनों तक इन क्यारियों की हल्की सिंचाई करते रहे। कुछ दिनों बाद आपको अंकुर आते दिखेंगे। इसके बाद लगभग 25 से 30 दिन के समय में टमाटर के पौधे लगाने के योग्य हो जाते है, और उन्हें खेत में लगा दिया जाता हैं।

तैयार पौधों की खेत में रोपाई 


टमारटर की नर्सरी 25 से 30 दिनों में तैयार हो जाती है। इस तैयार नर्सरी को उखाड़ने के 24 घंटे पहले क्यारियों को पानी लगायें ताकि पौधे आसानी से उखाड़े जा सकें। इन तैयार नर्सरी की खेत में रोपाई से पहले उन्हें कार्बेन्डाजिम या ट्राइकोडर्मा के घोल से 25 से 30 मिनट तक उपचारित कर लेना चाहिए। क्यारियों में पौधों को लगाने से पहले क्यारियों को ठीक से पानी देकर उन्हें गीला कर लें। इससे पौधों की रोपाई आसान हो जाएगी। रोपाई के बाद इन पौधों को 3 से 4 दिन तक लगातार सुबह या शाम के समय हल्की सिंचाई करते रहें, जिससे पौधे मिट्टी में अच्छी तरह से लग जाएँ।

सिंचाई का विशेष ध्यान रखें


टमाटर के पौधों को लगाने के बाद इनकी सिंचाई पर विषेस ध्यान देना पड़ता है क्योंकि टमाटर के पौधों में अधिक पानी का देना या कम पानी का देना दोनों ही हानिकारक होता है। टमाटर के पौधों की सिंचाई ठण्ड के मौसम में 10 से 15 दिनों के अंतर पर करना चाहिए। तथा गर्मी के समय 4 से 5 दिन के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए। सिंचाई ऐसी करनी चाहिए की टमाटर के तने पानी में न डूबे क्योंकि टमाटर का पौधा बहुत मुलायम होता है। अगर तना पानी में डूब जाता है तो टमाटर के पौधे की सड़ने की सम्भावना बढ़ जाती है। अगर क्यारियों में टमाटर लगाये गए हो तो तने की डूबने की सम्भावना कम रहती है या तने डुबते नहीं हैं। इससे पौधों को पानी मई पर्याप्त मात्रा में मिल जाता है। जहाँ तक हो सके टमाटर के पौधों की रोपाई क्यारियां बनाकर ही करनी चाहिए।

टमाटर के पौधों की देख भाल



  • निराई-गुडाई :  रोपाई के 30 से 35 दिन बाद इसके खेत की निराई-गुड़ाई करें। टमाटर के खेत को खरपतवार मुक्त रखना अत्यंत आवश्यक होता है, क्योकि खरपतवार टमाटर की फसल को अधिक हानि पहुंचाते है। यदि खेत में कम खरपतवार हो, तो उन्हें निराई गुड़ाई कर निकाल देना चाहिए। यदि खरपतवार फसल में अधिक है तो उस स्थिति में खरपतवार नाशी दवा का उपयोग करना उपयुक्त है। इसके लिए ‘लासो’ 2 किलोग्राम/हेक्टेयर कि दर से डालना चाहिए। यह सबसे अधिक प्रभावशाली दवा है। आजकल रोपण के 4 से 5 दिन बाद स्टाम्प 1.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करना अत्यंत प्रभावशाली पाया गया है और ऊपज पर भी कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता है।


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  • कीट की रोकथाम : सफेद मक्खी: इसकी रोकथाम के लिए एसिटामिप्रिड 20 एस पी 80 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी या ट्राइजोफोस 250 मि.ली. प्रति 200 लीटर या प्रोफैनोफोस 200 मि.ली. प्रति 200 लीटर पानी की स्प्रे करें। यह स्प्रे 15 दिन बाद दोबारा करें।

  • फल छेदक : इसकी रोकथाम के लिए टमाटर के पौधों पर सपानोसैड 80 मि.ली.़ के साथ स्टिकर 400 मि.ली. प्रति 200 लीटर पानी की स्प्रे करें।

  • पत्ते का सुरंगी कीड़ा : इस कीड़े पर नियंत्रण करने के लिए डाईमैथोएट 30 ई सी 250 मि.ली. या स्पीनोसैड 80 मि.ली. में 200 लीटर पानी या ट्राइजोफोस 200 मि.ली.प्रति 200लीटर पानी की स्प्रे करें।


रोग एवं नियंत्रण



  • फल का गलना : इसे रोकने के लिए मैनकोजेब 400 ग्राम या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 300 ग्राम या क्लोरोथैलोनिल 250 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी की स्प्रे करें।

  • ऐंथ्राक्नोस : इस रोग प्रकोप दिखे तो इसे रोकने के लिए प्रॉपीकोनाजोल या हैक्साकोनाजोल 200 मि.ली. प्रति 200 लीटर पानी की स्प्रे करें।

  • झुलसा रोग : यह रोग अक्सर गर्मियों में देखने को मिलता है। पौधों पर इस रोग के लगने से पत्तिया पीली होकर गिरने लगती है। इस रोग से बचाव के लिए डाइथेन जेड -78 का छिड़काव पौधों पर करें।


 

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भारत से टमाटर का निर्यात मुख्य रूप से पाकिस्तान, संयुक्त राज्य अमीरात, बांग्लादेश, सउदी अरब, ओमान, नेपाल, मालद्विप, बहरीन एवं मलावी को किया जाता है। इस फसल को सम्पूर्ण भारत में सफलतापूर्वक किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है। यदि कोई किसान इसकी खेती को नियमित रूप से करता है, तो वह इससे अच्छा व्यापार करके खूब पैसा भी कमा सकते है। भारत टमाटर का निर्यात करता है। इस कारण भारत के बाजारों में हर सीजन इस सब्जी की मांग काफी उच्च स्तर पर रहती है। यह एक ऐसी फसल है जिससे किसान को शायद ही नुकसान होता हो। किसानों के लिए इसकी खेती करना बहुत ही लाभकारी सिद्ध होता है।

 

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