टमाटर की खेती
टमाटर की खेती का तरीका
खेत को 3-4 बार जोतकर अच्छी तरह तैयार कर लें। पहली जुताई जुलाई माह में मिट्टी पलटने वाले हल अथवा देशी हल से करें। खेत की जुताई के बाद समतल करके 250-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से सड़ी गोबर की खाद को समान रूप से खेत में बिखेरकर पुन: अच्छी जुताई कर लें और घास-पात को पूर्णरूप से हटा दें।
टमाटर की फसल पाला नहीं सहन कर सकती है। इसकी खेती हेतु आदर्श तापमान 18 से 27 डिग्री से.ग्रे. है। 21-24 डिग्री से.ग्रे तापक्रम पर टमाटर मे लाल रंग सबसे अच्छा विकसित होता है। इन्ही सब कारणो से सर्दियो मे फल मीठे और गहरे लाल रंग के होते है। तापमान 38 डिग्री से.ग्रे. से अधिक होने पर अपरिपक्व फल एवं फूल गिर जाते है।
Solis Hybrid 5015 Tractor
भूमि-
उचित जल निकास वाली बलुई दोमट भूमि जिसमे पर्याप्त मात्रा मे जीवांश उपलब्ध हो जाते हैं
टमाटर की किस्में :-
- देशी किस्म- पूसा रूबी, पूसा – 120, पूसा शीतल, पूसा गौरव , अर्का सौरभ , अर्का विकास, सोनाली
- संकर किस्म- पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड -2, पूसा हाइब्रिड -4, अविनाश-2, रश्मि तथा निजी क्षेत्र से शक्तिमान, रेड गोल्ड, 501, 2535 उत्सव, अविनाश, चमत्कार, यू.एस. 440 आदि।
बीज की मात्रा और बुवाई
बीजदर- एक हेक्टेयर क्षेत्र में फसल उगाने के लिए नर्सरी तैयार करने हेतु लगभग 350 से 400 ग्राम बीज पर्याप्त होता है। संकर किस्मों के लिए बीज की मात्रा 150-200 ग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त रहती है।
बुवाई – वर्षा ऋतु के लिये जून-जलाई तथा शीत ऋतु के लिये जनवरी-फरवरी। फसल पाले रहित क्षेत्रो में उगायी जानी चाहिए या इसकी पाले से समुचित रक्षा करनी चाहिएं।
बीज उपचार- बुवाई पूर्व थाइरम /मेटालाक्सिल से बीजोपचार करे ताकि अंकुरण पूर्व फफून्द का आक्रमण रोका जा सके।
नर्सरी एवं रोपाई
- नर्सरी मे बुवाई हेतु 1 से 3 मी. की ऊठी हुई क्यारियां बनाकर फोर्मेल्डिहाइड द्वारा स्टेरीलाइजशन कर ले अथवा कार्बोफ्यूरान 30 ग्राम प्रति वर्गमीटर के हिसाब से मिलावें ।
- बीज को कार्बेन्डाजिम/ट्राइकोडर्मा प्रति किग्रा. बीज की दर से उपचारित कर 5 से.मी. की दूरी रखते हुये कतारो मे बीजो की बुवाई करे। बीज बोने के बाद गोबर की खाद या मिट्टी ढक दे और हजारे से छिडकाव
- बीज उगने के बाद डायथेन एम-45/मेटालाक्सिल छिडकाव 8-10 दिन के अंतराल पर करना चाहिए।
- 25 से 30 दिन का रोपा खेतो मे रोपाई से पूर्व कार्बेन्डिजिम या ट्राईटोडर्मा के घोल में पौधों की जड़ों को 20-25 मिनट उपचारित करने के बाद ही पौधों की रोपाई करें।
- पौध को उचित खेत में 75 से.मी. की कतार की दूरी रखते हुए 60 से.मी के फासले पर पौधो की रोपाई करे।
- मेंड़ों पर चारों तरफ गेंदा की रोपाई करें । फूल खिलने की अवस्था में फल भेदक कीट टमाटर की फसल में कम जबकि गेदें की फलियों / फूलों में अधिक अंडा देते है।
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उर्वरक का प्रयोग-
20 से 25 मैट्रिक टन गोबर की खाद/है एवं 200 किलो नत्रजन, 100 किलो फाॅस्फोरस व 100 किलो पोटाश /है।बोरेक्स की कमी हो वहाँ बोरेक्स 0.3 प्रतिशत का छिडकाव करने से फल अधिक लगते है।
सिंचाई –
सर्दियों मे 10-15 दिन के अन्तराल से एवं गर्मियों में 6-7 दिन के अन्तराल से हल्का पानी देते रहे। अगर संभव हो सके तो कृषकों को सिंचाई ड्रिप इरीगेशन द्वारा करनी चाहिएं
मिटटी चढाना व पौधों को सहारा देना (स्टेकिंग) –
टमाटर मे फूल आने के समय पौधो मे मिटटी चढाना एवं सहारा देना आवश्यक होता है। टमाटर की लम्बी बढने वाली किस्मो को विशेष रूप से सहारा देने की आवश्यकता होती है। पौधो को सहारा देने से फल मिटटी एवं पानी के सम्पर्क मे नही आ पाते जिससे फल सडने की समस्या नही होती है।
सहारा देने के लिए रोपाई के 30 से 45 दिन के बाद बांस या लकडी के डंडो मे विभिन्न ऊंचाइयों पर छेद करके तार बांधकर फिर पौधो को तारो से सुतली को बांधते है। इस प्रक्रिया को स्टेकिंग कहा जाता है ।
खरपतवार नियंत्रण-
- आवश्यकतानुसार फसलो की निराई-गुड़ाई करें। फूल और फल बनने की अवस्था मे निंदाई-गुडाई नही करनी चाहिए।
- रासायनिक दवा के रूप मे खेत तैयार करते समय फ्लूक्लोरेलिन (बासालिन ) या से रोपाई के 7 दिन के अंदर पेन्डीमिथेलिन छिडकाव करे।
प्रमुख कीट एवं रोग-
कीट – हरा तैला, सफेद मक्खी, फल छेदक कीट एंव तम्बाकू की इल्ली
रोग – आर्द्र गलन या डैम्पिंग आॅफ, झुलसा या ब्लाइट, फल सड़न
एकीकृत कीट एवं रोग नियंत्रण
- गर्मीयो मे खेत की गहरी जुताई करे।
- पौधशाला की क्यारियो भूमि धरातल से ऊची रखें एवं फोर्मेल्डिहाइड द्वारा स्टेरीलाइज़ेशन कर ले
- क्यारियो को मार्च अप्रेल माह मे पोलिथिन शीट से ढके भू-तपन के लिए मृदा मे पर्याप्त नमी होनी चाहिए
- गोबर की खाद मे ट्राइकोडर्मा मिलाकर क्यारी मे मिट्टी मे अच्छी तरह से मिला देना चाहिए।
- पौधशाला की मिट्टी को कॉपर ऑक्सीक्लोराइड के घोल से बुवाई के 2-3 सप्ताह बाद छिडकाव करे।
- पौध रोपण के समय पौध की जडो को कार्बेन्डाजिम या ट्राइकोडर्मा के घोल मे 10 मिनट तक डुबो कर रखे।
- पौध रोपण के 15-20 दिन के अंतराल पर चेपा, सफेद मक्खी एवं थ्रिप्स के लिए 2 से 3 छिडकाव इमीडाक्लोप्रिड या एसीफेट के करे । माइट की उपस्थिती होने पर ओमाइट का छिडकाव करे।
- फल भेदक इल्ली एवं तम्बाकू की इल्ली के लिए इन्डोक्साकार्ब या प्रोफेनोफॉस का छिडकाव ब्याधि के उपचार के लिए बीजोपचार, कार्बेन्डाजिम या मेन्कोजेब से करना चाहिए। खडी फसल मे रोग के लक्षण पाये जाने पर मेटालेक्सिल + मैन्कोजेब या ब्लाईटोक्स का घोल बनाकर छिडकाव करे। चूर्णी फफूंद होने सल्फर घोल का छिडकाव करे।
फलों की तुड़ाई, उपज एवं विपणन –
जब फलों का रंग हल्का लाल होना शुरू हो उस अवस्था मे फलों की तुडाई करें तथा फलो की ग्रेडिंग कर कीट व व्याधि ग्रस्त फलो दागी फलो छोटे आकार के फलो को छाटकर अलग करें। ग्रेडिंग किये फलों को कैरेट मे भरकर अपने निकटतम सब्जी मण्डी या जिस मण्डी मे अच्छा टमाटर का भाव हो वहा ले जाकर बेचें। टमाटर की औसत उपज 400-500 क्विंटल/है. होती है तथा संकर टमाटर की उपज 700 -800 क्विंटल/है. तक हो सकती है ।
टमाटर की प्रति हेक्टेयर कृषि लागत व्यय (रूपये में)
विवरण | मात्रा एवं दर प्रति इकाई | लागत (रु.) | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भूमि की तैयारी | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
जुताई की संख्या | 02, दर 500/- प्रति घंटा | 1000 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मजदूरों की संख्या | 06, दर 150/- | 900 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
खाद एवं उर्वरक | टमाटर खेती की पूरी जानकारी(नए ब्राउज़र टैब में खुलता है) | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
गोबर की खाद 10 टन, 2 वर्ष में एक बार | 1000/-प्रति टन, | 10000 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
नत्रजन | 200 किलोग्राम दर 12.40/- | 2480 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
फास्फोरस | 100 किलोग्राम दर 32.70/- | 3270 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
पोटाश (मृदा परीक्षण के अनुसार ) | 100 किलोग्राम दर 19.88/- | 1988 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मजदूरों की संख्या | 20, दर 150/- | 3000 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
पौधो को सहारा देना (स्टेकिंग) | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
बॉस एवं वायर | 31000 | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मजदूरों की संख्या | 20, दर 150/- | 7500 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
बीज की मात्रा | 200 ग्राम दर 400/10 ग्राम | 8000 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
बुआई पर मजदूरों की संख्या | 15, दर 150/- | 2250 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
सिंचाई संख्या | 10 | 5000 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मजदूर | 10, दर 150/- | 1500 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
निंदाई | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मजदूरों की संख्या | 40, दर 150/- | 6000 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
फसल सुरक्षा | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
ट्राईजोफास | 2 बार, दर 450/- | 900 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
इमीडाक्लोप्रिड | 2 बार, दर 200/- | 400 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
एसीफेट | 2 बार, दर 160/- | 320 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
प्रोफेनोफॉस | 2 बार, दर 500/- | 1000 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मजदूरों की संख्या | 16, दर 150/- | 2400 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
तुडाई (मजदूरों की संख्या ) | 40, दर 150/- | 6000 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
कुल लागत | 88158 | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
कुल आय (औसतन पैदावार 600 क्विंटल प्रति हेक्टयर) | 480000 | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
शुद्ध ला भ | 391842टमाटर की खेतीटमाटर की फसल पाला नहीं सहन कर सकती है। इसकी खेती हेतु आदर्श तापमान 18 से 27 डिग्री से.ग्रे. है। 21-24 डिग्री से.ग्रे तापक्रम पर टमाटर मे लाल रंग सबसे अच्छा विकसित होता है। इन्ही सब कारणो से सर्दियो मे फल मीठे और गहरे लाल रंग के होते है। तापमान 38 डिग्री से.ग्रे. से अधिक होने पर अपरिपक्व फल एवं फूल गिर जाते है। भूमि-उचित जल निकास वाली बलुई दोमट भूमि जिसमे पर्याप्त मात्रा मे जीवांश उपलब्ध हो जाते हैं टमाटर की किस्में :-
बीज की मात्रा और बुवाईबीजदर- एक हेक्टेयर क्षेत्र में फसल उगाने के लिए नर्सरी तैयार करने हेतु लगभग 350 से 400 ग्राम बीज पर्याप्त होता है। संकर किस्मों के लिए बीज की मात्रा 150-200 ग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त रहती है। बुवाई – वर्षा ऋतु के लिये जून-जलाई तथा शीत ऋतु के लिये जनवरी-फरवरी। फसल पाले रहित क्षेत्रो में उगायी जानी चाहिए या इसकी पाले से समुचित रक्षा करनी चाहिएं। बीज उपचार- बुवाई पूर्व थाइरम /मेटालाक्सिल से बीजोपचार करे ताकि अंकुरण पूर्व फफून्द का आक्रमण रोका जा सके। नर्सरी एवं रोपाई
उर्वरक का प्रयोग-20 से 25 मैट्रिक टन गोबर की खाद/है एवं 200 किलो नत्रजन, 100 किलो फाॅस्फोरस व 100 किलो पोटाश /है।बोरेक्स की कमी हो वहाँ बोरेक्स 0.3 प्रतिशत का छिडकाव करने से फल अधिक लगते है। सिंचाई –सर्दियों मे 10-15 दिन के अन्तराल से एवं गर्मियों में 6-7 दिन के अन्तराल से हल्का पानी देते रहे। अगर संभव हो सके तो कृषकों को सिंचाई ड्रिप इरीगेशन द्वारा करनी चाहिएं मिटटी चढाना व पौधों को सहारा देना (स्टेकिंग) –टमाटर मे फूल आने के समय पौधो मे मिटटी चढाना एवं सहारा देना आवश्यक होता है। टमाटर की लम्बी बढने वाली किस्मो को विशेष रूप से सहारा देने की आवश्यकता होती है। पौधो को सहारा देने से फल मिटटी एवं पानी के सम्पर्क मे नही आ पाते जिससे फल सडने की समस्या नही होती है। सहारा देने के लिए रोपाई के 30 से 45 दिन के बाद बांस या लकडी के डंडो मे विभिन्न ऊंचाइयों पर छेद करके तार बांधकर फिर पौधो को तारो से सुतली को बांधते है। इस प्रक्रिया को स्टेकिंग कहा जाता है । खरपतवार नियंत्रण-
प्रमुख कीट एवं रोग-कीट – हरा तैला, सफेद मक्खी, फल छेदक कीट एंव तम्बाकू की इल्ली रोग – आर्द्र गलन या डैम्पिंग आॅफ, झुलसा या ब्लाइट, फल सड़न एकीकृत कीट एवं रोग नियंत्रण
फलों की तुड़ाई, उपज एवं विपणन –जब फलों का रंग हल्का लाल होना शुरू हो उस अवस्था मे फलों की तुडाई करें तथा फलो की ग्रेडिंग कर कीट व व्याधि ग्रस्त फलो दागी फलो छोटे आकार के फलो को छाटकर अलग करें। ग्रेडिंग किये फलों को कैरेट मे भरकर अपने निकटतम सब्जी मण्डी या जिस मण्डी मे अच्छा टमाटर का भाव हो वहा ले जाकर बेचें। टमाटर की औसत उपज 400-500 क्विंटल/है. होती है तथा संकर टमाटर की उपज 700 -800 क्विंटल/है. तक हो सकती है । टमाटर की प्रति हेक्टेयर कृषि लागत व्यय (रूपये में)
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Benefits of eating tomato and its information | टमाटर खाने के फायदे और इसकी जानकारी(नए ब्राउज़र टैब में खुलता है)
Powertrac Euro 45 Plus 2WD Tractor info
मटर की खेती(नए ब्राउज़र टैब में खुलता है)
टमाटर की उन्नत उत्पादन तकनीक
- आदर्श तापमान
- भूमि
- टमाटर की किस्में
- बीज की मात्रा और बुवाई
- बीज उपचार
- नर्सरी एवं रोपाई
- उर्वरक का प्रयोग
- सिंचाई
- मिट्टी चढ़ाना व पौधों को सहारा देना (स्टेकिंग)
- खरपतवार नियंत्रण
- प्रमुख कीट एवं रोग
- एकीकृत कीट एवं रोग नियंत्रण
- फलों की तुड़ाई,उपज एवं विपणन
आदर्श तापमान
टमाटर की फसल पाला नहीं सहन कर सकती है। इसकी खेती हेतु आदर्श तापमान 18. से 27 डिग्री से.ग्रे. है। 21-24 डिग्री से.ग्रे तापक्रम पर टमाटर में लाल रंग सबसे अच्छा विकसित होता है। इन्हीं सब कारणों से सर्दियों में फल मीठे और गहरे लाल रंग के होते हैं। तापमान 38 डिग्री से.ग्रे से अधिक होने पर अपरिपक्व फल एवं फूल गिर जाते हैं।
भूमि
उचित जल निकास वाली बलुई दोमट भूमि जिसमे पर्याप्त मात्रा मे जीवांश उपलब्ध हो।
टमाटर की किस्में
देसी किस्म-पूसा रूबी, पूसा-120,पूसा शीतल,पूसा गौरव,अर्का सौरभ, अर्का विकास, सोनाली
संकर किस्म-पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड -2, पूसा हाइब्रिड-4, अविनाश-2, रश्मि तथा निजी क्षेत्र से शक्तिमान, रेड गोल्ड, 501, 2535उत्सव, अविनाश, चमत्कार, यू.एस.440 आदि।
बीज की मात्रा और बुवाई
बीजदर
एक हेक्टयेर क्षेत्र में फसल उगाने के लिए नर्सरी तैयार करने हेतु लगभग 350 से 400 ग्राम बीज पर्याप्त होता है। संकर किस्मों के लिए बीज की मात्रा 150-200 ग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त रहती है।
बुवाई
वर्षा ऋतु के लिये जून-जुलाई तथा शीत ऋतु के लिये जनवरी-फरवरी। फसल पाले रहित क्षेत्रों में उगायी जानी चाहिए या इसकी पाल से समुचित रक्षा करनी चाहिए।
बीज उपचार
बुवाई पूर्व थाइरम/मेटालाक्सिल से बीजोपचार करें ताकि अंकुरण पूर्व फफून्द का आक्रमण रोका जा सके।
नर्सरी एवं रोपाई
- नर्सरी मे बुवाई हेतु 1X 3 मी. की ऊठी हुई क्यारियां बनाकर फॉर्मल्डिहाइड द्वारा स्टरलाइजेशन कर लें अथवा कार्बोफ्यूरान 30 ग्राम प्रति वर्गमीटर के हिसाब से मिलावें।
- बीजों को बीज कार्बेन्डाजिम/ट्राइकोडर्मा प्रति किग्रा. बीज की दर से उपचारित कर 5 से.मी. की दूरी रखते हुये कतारों में बीजों की बुवाई करें। बीज बोने के बाद गोबर की खाद या मिट्टी ढक दें और हजारे से छिड़काव -बीज उगने के बाद डायथेन एम-45/मेटालाक्सिल से छिड़काव 8-10 दिन के अंतराल पर करना चाहिए।
- 25 से 30 दिन का रोपा खेतों में रोपाई से पूर्व कार्बेन्डिजिम या ट्राईटोडर्मा के घोल में पौधों की जड़ों को 20-25 मिनट उपचारित करने के बाद ही पौधों की रोपाई करें। पौध को उचित खेत में 75 से.मी. की कतार की दूरी रखते हुये 60 से.मी के फासले पर पौधों की रोपाई करें।
- मेड़ों पर चारों तरफ गेंदा की रोपाई करें। फूल खिलने की अवस्था में फल भेदक कीट टमाटर की फसल में कम जबकि गेदें की फलियों/फूलों में अधिक अंडा देते हैं।
उर्वरक का प्रयोग
20 से 25 मैट्रिक टन गोबर की खाद एवं 200 किलो नत्रजन,100 किलो फॉस्फोरस व 100किलो पोटाश। बोरेक्स की कमी हो वहॉ बोरेक्स 0.3 प्रतिशत का छिड़काव करने से फल अधिक लगते हैं।
सिंचाई
सर्दियों में 10-15 दिन के अन्तराल से एवं गर्मियों में 6-7 दिन के अन्तराल से हल्का पानी देते रहें। अगर संभव हो सके तो कृषकों को सिंचाई ड्रिप इर्रीगेशन द्वारा करनी चाहिए।
मिट्टी चढ़ाना व पौधों को सहारा देना (स्टेकिंग)
टमाटर मे फूल आने के समय पौधों में मिट्टी चढ़ाना एवं सहारा देना आवश्यक होता है। टमाटर की लम्बी बढ़ने वाली किस्मों को विशेष रूप से सहारा देने की आवश्यकता होती है। पौधों को सहारा देने से फल मिट्टी एवं पानी के सम्पर्क मे नही आ पाते जिससे फल सड़ने की समस्या नही होती है। सहारा देने के लिए रोपाई के 30 से 45 दिन के बाद बांस या लकड़ी के डंडों में विभिन्न ऊॅचाईयों पर छेद करके तार बांधकर फिर पौधों को तारों से सुतली बांधते हैं। इस प्रक्रिया को स्टेकिंग कहा जाता है।
खरपतवार नियंत्रण
- आवश्यकतानुसार फसलों की निराई-गुड़ाई करें। फूल और फल बनने की अवस्था मे निंदाई-गुड़ाई नही करनी चाहिए।
- रासायनिक दवा के रूप मे खेत तैयार करते समय फ्लूक्लोरेलिन (बासालिन) या से रोपाई के 7 दिन के अंदर पेन्डीमिथेलिन छिड़काव करें।
प्रमुख कीट एवं रोग
प्रमुख कीट- हरा तैला, सफेद मक्खी, फल छेदक कीट एंव तम्बाकू की इल्ली
प्रमुख रोग-आर्द्र गलन या डैम्पिंग ऑफ, झुलसा या ब्लाइट, फल संडन
एकीकृत कीट एवं रोग नियंत्रण
- गर्मियों में खेत की गहरी जुताई करें।
- पौधशाला की क्यारियॉ भूमि धरातल से ऊंची रखे एवं फोर्मेल्डिहाइड द्वारा स्टरलाइजेशन करलें।
- क्यारियों को मार्च अप्रैल माह मे पॉलीथीन शीट से ढके भू-तपन के लिए मृदा में पर्याप्त नमी होनी चाहिए।
- गोबर की खाद मे ट्राइकोडर्मा मिलाकर क्यारी में मिट्टी में अच्छी तरह से मिला देना चाहिए।
- पौधशाला की मिट्टी को कॉपर ऑक्सीक्लोराइड के घोल से बुवाई के 2-3 सप्ताह बाद छिड़काव करें।
- पौध रोपण के समय पौध की जड़ों को कार्बेन्डाजिम या ट्राइकोडर्मा के घोल मे 10 मिनट तक डुबो कर रखें।
- पौध रोपण के 15-20 दिन के अंतराल पर चेपा, सफेद मक्खी एवं थ्रिप्स के लिए 2 से ३ छिड़काव इमीडाक्लोप्रिड या एसीफेट के करें। माइट की उपस्थिति होने पर ओमाइट का छिड़काव करें।
- फल भेदक इल्ली एवं तम्बाकू की इल्ली के लिए इन्डोक्साकार्ब या प्रोफेनोफॉस का छिड़काव ब्याधि के उपचार के लिए बीजोपचार, कार्बेन्डाजिम या मेन्कोजेब से करना चाहिए। खड़ी फसल मेंं रोग के लक्षण पाये जाने पर मेटालेक्सिल + मैन्कोजेब या ब्लाईटॉक्स का धोल बनाकर छिड़काव करें। चूर्णी फंफूद होने सल्फर धोल का छिड़काव करें।
फलों की तुड़ाई,उपज एवं विपणन
जब फलों का रंग हल्का लाल होना शुरू हो उस अवस्था मे फलों की तुड़ाई करें तथा फलों की ग्रेडिंग कर कीट व व्याधि ग्रस्त फलों दागी फलों छोटे आकार के फलों को छाटकर अलग करें। ग्रेडिंग किये फलों को केरैटे में भरकर अपने निकटतम सब्जी मण्डी या जिस मण्डी मे अच्छा टमाटर का भाव हो वहां ले जाकर बेचें। टमाटर की औसत उपज 400-500 क्विंटल/है. होती है तथा संकर टमाटर की उपज 700-800 क्विंटल/है. तक हो सकती है।
टमाटर की प्रति हेक्टेयर कृषि लागत व्यय (रुपये में)
क्र. | विवरण | मात्रा एवं दर प्रति इकाई | लागत (रु.) |
1. क. ख. | भूमि की तैयारी जुताई की संख्या मजदूरों की संख्या | 02, दर 500/- प्रति घंटा 06, दर 150/- | 1000 900 |
2. क अ ब स. ख. | खाद एवं उर्वरक गोबर की खाद 10 टन, 2 वर्ष में एक बार नत्रजन फास्फोरस पोटाश (मृदा परीक्षण के अनुसार) मजदूरों की संख्या | 1000/-प्रति टन, 200 किलोग्राम दर 12.40/- 100 किलोग्राम दर 32.70/- 100 किलोग्राम दर 19.88/- 20, दर 150/- | 10000 2480 3270 1988 3000 |
3. क. ख | पौधों को सहारा देना (स्टेकिंग) बॉस एवं वायर मजदूरों की संख्या | 50, दर 150/- | 31000 7500 |
4.क. ख अ | बीज की मात्रा बुआई पर मजदूरों की संख्या | 200 ग्राम दर 400/10 ग्राम 15, दर 150/- | 8000 2250 |
5.क. ख | सिंचाई संख्या मजदूर | 10 10 दर 150/- | 5000 1500 |
6. | निंदाई मजदूरों की संख्या | 40 दर 150/- | 6000 |
7. | फसल सुरक्षा ट्रायजोफॉस इमीडाक्लोप्रिड एसीफेट प्रोफेनोफॉस मजदूरों की संख्या | 2 बार, दर 450/- 2 बार, दर 200/- 2 बार, दर 160/- 2 बार, दर 500/- 16 दर 150/- | 900 400 320 1000 2400 |
तुड़ाई (मजदूरों की संख्या) | 40 दर 150/- | 6000 | |
कुल लागत | 88158 | ||
कुल आय (औसतन पैदावार 600 क्विंटल प्रति हेक्टयर) | 480000 | ||
शुद्ध लाभ | 391842 |
शिमला मिर्च की जैविक खेती(नए ब्राउज़र टैब में खुलता है)
[…] टमाटर की खेती […]
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