जबलपुर में तैनात किया गया वायुसेना का फाइटर प्लेन मिग 21, ये है कारण

जबलपुर में तैनात किया गया वायुसेना का फाइटर प्लेन मिग 21, ये है कारण

 

जबलपुर में तैनात किया गया वायुसेना का फाइटर प्लेन मिग 21, ये है कारण

भारतीय वायुसेना के फाइटर प्लेन मिग 21 को जबलपुर में तैनात किया गया है. इसे जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों के लिए लाया गया है. ये विमान 2018 में वायुसेना से रिटायर हो चुका है.


Jabalpur  : अनेक युद्धों में दुश्मन सेना के लिए काल बने भारतीय वायुसेना के फाइटर प्लेन मिग 21 को जबलपुर में तैनात किया गया है. चौकिये मत ये कोई युद्ध के मोर्चे की तैनाती नहीं है बल्कि सेना के शौर्य और पराक्रम की कहानी सुनाने के साथ इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे छात्रों का तकनीकी कौशल बढाने के लिए एक कोशिश है. अब यह मिग 21 फाइटर प्लेन सेल्फी पॉइंट भी बन गया है. इसे जबलपुर के सरकारी इंजीनियरिंग कालेज में प्रतीक के तौर पर रखा गया है.


डीआरडीओ के डॉयरेक्टर का योगदान
गौरतलब है कि यह जबलपुर के गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज प्लेटिनम जुबली वर्ष है. ऐसे में मिग 21 मिलने से कॉलेज के खाते में एक और उपलब्धि बढ़ गई है. जबलपुर इंजीनियरिंग कालेज के प्राचार्य डॉ ए के शर्मा ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि इस प्लेन को रक्षा मंत्रालय के डीआरडीओ के माध्यम से जबलपुर भेजा गया. कॉलेज के परिसर के बाहर इस फाइटर प्लेन को स्थापित किया जा रहा है. 

यह प्रदेश के सबसे पुराने इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए गौरव का पल है और इसे ऐतिहासिक उपलब्धि कहा जा सकता है. इस आउट ऑफ सर्विस मिग 21 फाइटर प्लेन को प्रयागराज से डी-असेम्बल करके विभिन्न टुकड़ों में जबलपुर लाया गया. यहां इंजीनियरिंग कालेज परिसर में वायुसेना के इंजीनियिरों की टीम द्वारा सभी पार्ट्स जोड़कर उसे फिर से तैयार किया गया. इस मिग 21 फाइटर प्लेन को भारतीय वायु सेना द्वारा इंजीनियरिंग कॉलेज के आवेदन पर भेंट किया गया है. मिग-21 को प्रदान करने में डीआरडीओ के डॉयरेक्टर डॉ सुधीर मिश्रा की महात्वपूर्ण भूमिका रही. 


2018 में वायुसेना से रिटायर हो चुका है विमान
जबलपुर में प्रतीकात्मक रूप से तैनात किया जा रहा मिग-21 फाइटर प्लेन 2018 में वायु सेना से रिटायर हो चुका. इस प्लेन ने वायु सेना के कई मोर्चों पर बेहतरीन साथ दिया. जबलपुर लाने के पहले इसे प्रयागराज के एयरफोर्स स्टेशन पर डीअसेम्बल किया गया. इसे कई टुकड़ों में जबलपुर लाया गया. वायुसेना के इंजीनियरों और टेक्नीशियनों की टीम ने इसे फिर से असेंबल किया. महाविद्यालय परिसर में प्रशासनिक ब्लॉक के सामने पहले से तैयार किए गए प्लेटफार्म पर इसे स्थापित किया गया. प्राचार्य डॉ ए के शर्मा के मुताबिक वायुसेना से रिटायर होने के बाद प्रतीकात्मक हो गए मिग 21 फाइटर प्लेन से छात्रों को न केवल तकनीकी ज्ञान होगा बल्कि उनके कौशल में भी बदलाव होगा. इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स भी मिग 21 आने से बेहद खुश दिखे. छात्र उसके सामने न केवल सेल्फी ले रहे थे बल्कि वायुसेना की टेक्निकल टीम से उसके बारे में जानकारी भी प्राप्त कर रहे थे.


जानें क्या खासियत है मिग 21 में
साल 1959 में मिग-21 सुपरसोनिक लड़ाकू विमान दुनिया में सबसे तेज़ गति से उड़ान भरने वाले लड़ाकू विमानों में से एक था. दुनिया भर में यह एकलौता विमान है जिसका इस्तेमाल लगभग 60 देशों ने किया. यही नहीं पूरी दुनिया में इसके सबसे ज्यादा 11496 यूनिट्स बनाए गए हैं. इस विमान की ऑपरेशनल कॉस्ट और मेंटीनेंस दूसरे फाइटर जेट्स के मुकाबले काफी कम है. यह वही मिग-21 है जिससे बालाकोट एयरस्ट्राइक में विंग कमांडर अभिनंदन ने पाकिस्तान के एफ-16 को मार गिराया था. 1971 और 1999 के कारगिल युद्ध में भी इस लड़ाकू विमान ने भारतीय वायुसेना का साथ दिया और दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए थे। 


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